आम तौर पर शांत रहने वाले पूर्व उप-प्रधानमंत्री आडवाणी की ओर से नाराजगी जाहिर करने के बाद सरकार और मुख्य विपक्षी कांग्रेस, जो संसद के दोनों सदनों में विरोध-प्रदर्शनों की अगुवाई कर रही है, ने वरिष्ठ नेता के गुस्से का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने की कोशिश की।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही स्थगित किए जाने के तत्काल बाद आडवाणी को यह कहते सुना गया, न तो स्पीकर और न ही संसदीय कार्य मंत्री सदन चला पा रहे हैं।
आडवाणी ने यह भी कहा, मैं स्पीकर से कहने जा रहा हूं कि वह सदन नहीं चला रही हैं...मैं सार्वजनिक तौर पर यह कहने जा रहा हूं। दोनों इसमें भागीदार हैं।
भाजपा नेता जब यह टिप्पणी कर रहे थे, उस वक्त केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार उन्हें शांत करने की कोशिश करते दिखे।
कांग्रेस ने आडवाणी की नाराजगी का जिक्र करते हुए मोदी सरकार को नसीहत दी कि वह आडवाणी की नेक सलाह पर ध्यान दे ताकि लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही चल सके।
पार्टी प्रवक्ता सुष्मिता देव ने कहा, लाल कृष्ण आडवाणी भाजपा के बहुत वरिष्ठ नेता हैं और काफी लंबे समय से संसद में रहे हैं। भाजपा आडवाणी जी को मार्गदर्शक और गुरू मानती है। मैं अपेक्षा करती हूं कि भाजपा भले ही विपक्ष की नहीं सुन रही हो, लेकिन कम से कम अपने मार्गदर्शक को तो सुने।
देव ने पत्रकारों से कहा, मैं उनका शुक्रिया अदा करती हूं। आडवाणी ने पूरे मुद्दे को सही परिप्रेक्ष्य दिया है। यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि सत्र के दौरान ज्यादा से ज्यादा काम हो।
प्रवक्ता ने कहा, आडवाणी वरिष्ठतम सांसदों में से एक हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार उनकी नेक सलाह पर गौर करेगी।
बहरहाल, केंद्र सरकार के शीर्ष मंत्रियों ने आडवाणी के गुस्से के लिए विपक्षी पार्टियों पर ठीकरा फोड़ा और जोर देकर कहा कि गतिरोध के लिए विपक्ष ही जिम्मेदार है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, वह विपक्ष से नाराज थे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि वह गतिरोध पर दुखी हैं, लेकिन विपक्ष सदन नहीं चलने दे रहा। नायडू ने कहा, उनकी (विपक्ष की) रणनीति क्या है ? मुझे समझ नहीं आ रहा कि वे इस आत्मघाती कदम पर क्यों बढ़ रहे हैं। जिस तरह से संसद काम कर रही है, उससे देश की जनता दुखी है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष एक तरफ तो कहता है कि वह नोटबंदी के खिलाफ नहीं है, लेकिन दूसरी तरफ वे लोगों की दिक्कतों पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। वे बाहर आकर भी कहते हैं कि संसद नहीं चलने देंगे।
नायडू ने कहा, देश के लोग बहुत खुश हैं। लोगों की मदद करने की बजाय, समस्या सुलझाने की बजाय और देश को धन के डिजिटल अंतरण की तरफ ले जाने की बजाय वे समाज में घबराहट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे इसमें भी नाकाम हो गए हैं। वे अपनी हताशा जाहिर कर रहे हैं। यह संसद और लोकतंत्र की अवमानना है।
इससे पहले, 89 साल के आडवाणी ने मीडिया गैलरी की तरफ इशारा करते हुए शायद यह संकेत दिया कि उनकी टिप्पणियां अखबारों-चैनलों में कवर की जाए। आडवाणी ने लोकसभा के एक अधिकारी से पूछा कि कब तक के लिए सदन स्थगित किया गया है, इस पर जब अधिकारी ने बताया कि दोपहर दो बजे तक, तो वरिष्ठ नेता ने कहा, अनिश्चितकाल के लिए क्यों नहीं ?
भाषा
लाल कृष्ण आडवाणी, संसद