बीते 26 नबंवर को कृषि कानूनों के विरोध में खड़ा हुए किसान आंदोलन को एक साल हो चुका है। पीएम मोदी के बीते सप्ताह कृषि कानून को वापस लेने के ऐलान के बाद अब केंद्र सरकार कृषि कानून को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। लेकिन, किसान अभी भी कुछ मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। शनिवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अनुरोध किया है कि वो आंदोलन खत्म करें और अपने-अपने घर वापस चले जाएं।
कृषि मंत्री ने कहा, "तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के एलान के बाद मुझे लगता है कि अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए मैं किसानों और किसान संगठनों से निवेदन करता हूं कि वो आंदोलन खत्म करें। बड़े मन का परिचय दें और पीएम मोदी की जो घोषणा है उसका आदर करते हुए अपने-अपने घर लौटें।"
तोमर के बयान के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "सरकार द्वारा एमएसपी पर कानून की हमारी मांग को स्वीकार करने के बाद ही हम घर जाएंगे और विरोध वापस लेंगे। हमारा जनवरी तक दिल्ली बोर्डर में रहने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, "यदि सरकार एमएसपी और धरना के दौरान मारे गए 750 किसानों के लिए मुआवजे की हमारी मांग को स्वीकार करेगी तो हम तुरंत घर चले जाएंगे।"
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने बयान में कहा है कि जहां तक विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज मामलों का संबंध है तो यह मामला राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है और वे ही इस मुद्दे पर निर्णय लेंगे। राज्य सरकारें ही अपनी राज्य नीति के अनुसार मुआवजे के मुद्दे पर भी निर्णय लेंगी।
कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि अब देश में पराली जलाना अपराध नहीं होगा। गौरतलब हो कि किसानों ने इस मुद्दे को भी सरकार के सामने जोर-शोर से उठाया था, जिसपर संज्ञान लेते हुए नरेंद्र सिंह तोमर के कहा, "किसान संगठनों ने पराली जलाने पर किसानों को दंडनीय अपराध से मुक्त किए जाने की मांग की थी। भारत सरकार ने यह मांग को भी मान लिया है।"
हालांकि, किसानों की एक और मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाया जाए। इस पर कृषि मंत्री ने कहा है, "प्रधानमंत्री ने जीरो बजट खेती, फसल विविधीकरण, एमएसपी को प्रभावी, पारदर्शी बनाने जैसे विषयों पर विचार करने के लिए समिती बनाने की घोषणा की है। इस समिती में आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधि भी रहेंगे।"