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कैबिनेट ने नमामी गंगे को योजना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार की फ्लैगशिप योजना नमामि गंगे को मंजूरी दे दी गई। इस योजना के तहत गंगा नदी को समग्र तौर पर संरक्षित और स्‍वच्‍छ करने के कदम उठाए जाएंगे। इस पर अगले पांच साल में 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
कैबिनेट ने नमामी गंगे को योजना को मंजूरी दी

गंगा को स्‍वच्‍छ करने के लिए पिछले 30 साल में सरकार की ओर से खर्च की गई राशि से यह रकम चार गुना है। सरकार ने अब इस कार्यक्रम में अहम बदलाव करते हुए गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को स्‍वच्‍छ गंगा मिशन में शामिल करने पर ध्‍यान केन्‍द्रित किया है ताकि इसके बेहतर और टिकाऊ नतीजे हासिल हो सकें। इस संबंध में पिछले अनुभवों से सीखते हुए गंगा स्‍वच्‍छता मिशन में राज्‍यों और जमीनी स्‍तर के संस्‍थान जैसे शहरी स्‍थानीय निकाय और पंचायती राज संस्‍थानों को शामिल करने पर सरकार का पूरा ध्‍यान है।

यह कार्यक्रम स्‍वच्‍छ गंगा राष्‍ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर क्‍लीन गंगा - एनएमसीजी) की ओर से लागू किया जाएगा। राज्‍यों में इसके समकक्ष संगठन, जैसे स्‍टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप्‍स (एसपीएमजीएस) इस कार्यक्रम को लागू करेंगे। एनएमसीजी जहां जरुरत होगी वहां फील्‍ड ऑफिस बनाएगा। गंगा की सफाई के लिए इस मिशन को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए इसकी निगरानी की जाएगी और इसके लिए तीन स्‍तरीय व्‍यवस्‍था बनाने का प्रस्‍ताव है – क) राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कैबिनेट सचिव की अध्‍यक्षता में एक उच्‍च स्‍तरीय कार्यबल का गठन किया जाएगा जिसे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एनएमसीजी मदद करेगा। ख)राज्‍य स्‍तर पर मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी जिसे एसपीएमजीएस मदद करेंगे। ग) जिलाधिकारी की अध्‍यक्षता में जिला स्‍तर पर कमेटी बनेगी।

इस कार्यक्रम को रफ्तार देने के लिए इसके तहत आने वाली सभी गतिविधियों और परियोजनाओं की पूरी फंडिंग केन्‍द्र करेगा। अब तक के गंगा एक्‍शन प्‍लान की विफलता को ध्‍यान रखते हुए केन्‍द्र कम से कम 10 साल तक इसकी सभी परिसंपत्‍तियों के परिचालन और रखरखाव की व्‍यवस्‍था करेगा। जहां गंगा में ज्‍यादा प्रदूषण है वहां पीपीपी/एसपीवी के जरिये गंगा की सफाई की जाएगी।

केन्‍द्र की इस योजना को और मजबूत ढंग से लागू करने के लिए चार बटालियन गंगा इको टास्‍क फोर्स के गठन की योजना है। यह प्रादेशिक सैन्‍य इकाई होगी। इसके अलावा गंगा में प्रदूषण रोकने और इसे संरक्षित करने के लिए कानून लाने पर भी विचार हो रहा है।

गंगा स्‍वच्‍छता कार्यक्रम में केन्‍द्रीय मंत्रालयों/एजेंसियों और राज्‍य सरकारों के बीच समन्‍वय की व्‍यवस्‍था में सुधार लाने पर जोर होगा। इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय के तहत ढांचागत सुविधाओं के विकास के कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। पेयजल और सफाई, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत चलने वाले कार्यक्रमों के तहत निवेश किया जाएगा।

नमामि गंगे के तहत नदी के प्रदूषण को कम करने पर पूरा जोर होगा। इसमें प्रदूषण को रोकने और नालियों से बहने वाले कचरे के शोधन और उसे नदी से दूसरी ओर मोड़ने जैसे कदम उठाए जाएंगे। कचरा और सीवेज परिशोधन के लिए नई तकनीक की व्‍यवस्‍था की जाएगी।

इस योजना का सामाजिक-आर्थिक लाभ भी होगा और इससे रोजगार सृजन होने की उम्‍मीद है। साथ ही लोगों की जीविका का स्‍तर सुधरेगा और नदी किनारे रहने वाली बड़ी आबादी के स्‍वास्‍थ्‍य को भी फायदा पहुंचेगा।

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