प्रधानमंत्री के कल के उस भाषण के आधार पर यह अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि उन्होंने पूंजी बाजार पर कर बढ़ाने का संकेत दिया है और वह चाहते हैं कि पूंजी बाजार के कारोबारियों समेत सभी वर्गों के लोगों को राष्ट्रीय खजाने में योगदान करना चाहिए।
इस संदर्भ में जेटली ने आज यहां डिजि धन मेला कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से अलग से बातचीत में में कहा, मीडिया के एक हलके ने प्रधानमंत्री के भाषण की गलत व्याख्या की है और उसने यह अर्थ निकालना शुरू कर दिया कि इसमें परोक्ष रूप से प्रतिभूतियों के कारोबार में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर आरोपित किए जाने का संकेत है। जेटली ने कहा, यह व्याख्या बिलकुल गलत है।
इस समय सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों को एक साल के अंदर बेचने पर होने वाले लाभ पर ही कर लगाया जाता है जबकि एक साल या उससे ज्यादा समय बाद शेयरों की बिक्री पर होने वाला लाभ करमुक्त है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एेसा कोई बयान नहीं दिया...इसलिए मैं यह बिलकुल स्पष्ट करना चाहता हूं कि किसी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने का कोई आधार नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री ने एेसा कुछ नहीं कहा है और ना ही सरकार की एेसी कोई मंशा है जैसा कि मीडिया में कहा गया है।