रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कर ने कहा, लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण डा. एपीजे अब्दुल कलाम (व्हीलर) आइलैंड के लांच काम्प्लेक्स से सुबह लगभग नौ बजकर 45 मिनट पर किया गया। सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में अग्नि-।,2,3 और पृथ्वी पहले से मौजूद हैं, जो कि इन्हें 3000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी को अपनी जद में ला देती हैं। इनके जरिये देश को एक प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता मिली है। प्रवक्ता ने कहा, इस अभियान ने अपने सभी लक्ष्य पूरे किए। तट पर रडार स्टेशनों, टेलीमिटी और इलेक्टो-ऑप्टिकल स्टेशनों द्वारा इसका निरीक्षण एवं पुष्टि की गई।
उन्होंने कहा कि सतह से सतह तक मारने में सक्षम स्वदेशी मिसाइल अग्नि-4 में द्विचरणीय मिसाइल है। यह 20 मीटर लंबी और 17 टन भारी है। यह परीक्षण सेना की रणनीतिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन :डीआरडीओ: के अधिकारियों ने कहा, सतह से सतह तक मार करने में सक्षम परिष्कृत मिसाइल में उच्चस्तरीय विश्वसनीयता के लिए आधुनिक एवं सुसंबद्ध वैमानिकी का इस्तेमाल हुआ है।
प्रवक्ता ने ट्विटर पर कहा कि लक्षित स्थान पर तैनात किए गए पोतों ने अंतिम चरण का निरीक्षण किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज के प्रक्षेपण कायर्ों का नेतृत्व परियोजना निदेशक टेसी थाॅमस ने किया। रक्षा सूत्रों ने कहा कि यह अग्नि-4 मिसाइल का पांचवां परीक्षण था। पिछला परीक्षण भी सेना के एसएफसी द्वारा किया गया था। दो दिसंबर 2014 को किया गया यह परीक्षण सफल रहा था। उन्होंने कहा कि अग्नि-4 मिसाइल में पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर लगे हैं। इसकी आधुनिकतम विशेषताएं उड़ान के दौरान होने वाले अवरोधों के दौरान खुद को ठीक एवं दिशा-निर्देशित कर सकती हैं।
वाहन का अपने लक्ष्य तक सटीकता के साथ पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए इसमें विशेष नेविगेशन प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है। पुन:प्रवेश ऊष्मा कवच 4000 डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान को सह सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि अंदर का तापमान 50 डिग्री से कम रहे और इस दौरान वैमानिकी सामान्य ढंग से काम कर सके।