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जानें कौन हैं एन रंगास्वामी, जिन्होंने ली पुडुचेरी के सीएम पद की शपथ

एआईएनआरसी नेता एन रंगास्वामी ने शुक्रवार को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उपराज्यपाल...
जानें कौन हैं एन रंगास्वामी, जिन्होंने ली पुडुचेरी के सीएम पद की शपथ

एआईएनआरसी नेता एन रंगास्वामी ने शुक्रवार को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराज ने राजनिवास में रंगास्वामी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। बता दें कि रंगास्वामी चौथी बार पुडुचेरी के मुख्यमंत्री बने हैं। वह एनडीए सरकार की अगुवाई करेंगे जिसमें एआईएनआरसी और भाजपा शामिल है।

पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि शुक्रवार को रंगास्वामी ने अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली, लेकिन आने वाले कुछ दिनों में एआईएनआरसी और भाजपा के विधायकों को उनके मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।

रंगास्वामी को साधारण रहन-सहन, मृदुभाषी और आसान पहुंच वाला नेता माना जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भी दुपहिया वाहन से पुडुचेरी की गलियों में घूमते और हालात का जायजा लेने के लिए जाना जाता है।

कांग्रेस के एक पूर्व दिग्गज रंगास्वामी ने 2011 में ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस की स्थापना की। उन्होंने यह कदम तत्कालीन लोकसभा सदस्य वी नारायणसामी की शिकायत के बाद एआईसीसी द्वारा मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उठाया। रंगास्वामी ने अपने चुनावी करियर की शुरुआत असफलता से की थी। साल 1990 में उनके धुर राजनीतिक विरोधी व जनता दल नेता वी पेशपेरुमल ने थाट्टनचावडी विधानसभा सीट पर मात दी थी। हालांकि वह अगले साल उसी सीट से जीत दर्ज की और मंत्रिमंडल में बतौर कृषि मंत्री शामिल किए गए।

उसके बाद साल 1996 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। साल 2001 में कांग्रेस पुडुचेरी की सत्ता में फिर से वापस आई और कमान उनके हाथों में ही रही। परिस्थितियां उस वक्त बदली जब नाराणसामी ने रंगास्वामी की विभन्न मुद्दो पर आलोचना की। इसके बाद कांग्रेस ने अगस्त 2008 में उन्हों हटाकर वैद्यलिंगम को मु्ख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया।

रंगास्वामी ने साल 2011 में अपनी ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस की स्थापना की और जे जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक के साथ हाथ मिला कर तत्कालीन चुनाव में जीत दर्ज की। एआईएनआरसी को 15 सीटों पर जीत मिली और एक निर्दलीय के समर्थन से रंगास्वामी ने पुडुटेरी विधानसभा में सरकार बनाने के जादुई आंकड़े हासिल किए।

रंगास्वामी 2011 में सरकार बनाने के दौरान अन्नाद्रमुक से अलग हो गए, जिसके बाद उन्हें जयललिता की आलोचना का सामना करना पड़ा। उस वक्त जयललिता ने उन्हें 'गद्दार' करार दे दिया था।

एआईएनआरसी ने साल 2016 का चुनाव अपने दम पर लड़ा, लेकिन सफलता दोहराने में नाकामयाब रही और 17 सदस्यों के साथ कांग्रेस-डीएमके सरकार बनाने में सफल रही। रंगास्वामी वर्ष 2016 में नेता प्रतिपक्ष बने।

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