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26 Feb को 'भारत बंद' का ऐलान, जीएसटी- तेल की बढ़ती कीमत और ई-वे बिल पर ट्रेडर्स का हल्ला बोल

व्यापार संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधानों की...
26 Feb को 'भारत बंद' का ऐलान, जीएसटी- तेल की बढ़ती कीमत और ई-वे बिल पर ट्रेडर्स का हल्ला बोल

व्यापार संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधानों की समीक्षा की मांग करने को लेकर 26 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया है। बंद के इस आवाहन को ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) ने भी समर्थन दिया है। 

ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि सीएआईटी के समर्थन, ईंधन के बढ़ते दाम और ई-वे बिल को लेकर वो भी चक्का जाम करेंगे। दरअसल, सीएआईटी के नेतृत्व में आगामी 26 फरवरी को जीएसटी में कई प्रावधानों को वापस लेने के साथ ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर भारत बंद बुलाया है।

सीएआईटी ने कहा है कि जीएसटी के हालिया प्रावधानों के खिलाफ देशभर में 1,500 स्थानों पर धरना-प्रदर्शन दिया जाएगा। संगठन ने जीएसटी की समीक्षा और टैक्स स्लैब को और सरल करने के साथ कारोबारियों के नियमों के अनुपालन के लिए इसे और अधिक सरल बनाने की मांग की गई है। 

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने कहा है कि सीएआईटी को समर्थन देने के लिए ट्रांसपोर्ट्स एसोसिएशन चक्का जाम करेगा। एसोसिएशन ने ई-वे बिल को समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि देश में लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों से परिवहन उद्योग को परेशानियां हो रहीं हैं। केंद्र सरकार को ईंधन की कीमतों को कम करना चाहिए। 

सीएआईटी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देशभर के सभी वाणिज्यिक बाजार बंद रहेंगे और सभी राज्यों के विभिन्न शहरों में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। देशभर के 40 हजार से ज्यादा ट्रेडर्स एसोसिएशन इस बंद का समर्थन करेंगे। संगठन ने बयान में कहा है कि पिछले चार साल में जीएसटी में करीब 950 संशोधन हो चुके हैं। जीएसटी पोर्टल में लगातार तकनीकी गड़बड़ियां रहती है। इससे कई तरह की परेशानियों का सामना व्यापारियों को करना पड़ रहा है। जीएसटी सिस्टम की सफलता के लिए स्वैच्छिक अनुपालन सबसे अहम है, क्योंकि इससे अधिक-से-अधिक लोग अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से जुड़ेंगे। इससे टैक्स बेस बढ़ेगा और रेवेन्यू में इजाफा होगा।  

 

 

 

  

 

 

   

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