वेतन आयोग की सिफारिशें गत नवंबर में आ गयी थीं। इनमें मूल वेतन में 14.27 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की सिफारिश की है। यह बढोतरी पिछले 70 साल में आयोगों की सिफारिशोें में सबसे कम बतायी जा रही है। छठे वेतन आयोग ने 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की। 2008 में इसे लागू करते समय सरकार ने दोगुनी बढोतरी कर दी थी। आयोग की सिफारिशोेंं में प्रस्तावित भत्तों को भी जोड़ा जाए तो सिफारिशों के अनुसार वेतन में 23.55 प्रतिशत की वृद्धि होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इस साल राजकोषीय तंगी को ध्यान में रखते हुए सरकार वेतन आयोग की सिफारिश के मुकाबले मूल वेतन को 18 प्रतिशत या अधिक से अधिक 20 प्रतिशत तक कर सकती है।
7वें वेतन आयोग की रपट इस साल एक जनवरी से प्रभावी होगी। जनवरी के बाद के बकाये के भुगतान के तौर तरीके पर भी की मंत्रिमंडल में निर्णय किया जा सकता है। मंत्रिमंडल सचिव पी के सिन्हा की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिश की समीक्षा के बाद अपनी रपट सौंप दी है। बताया गया है कि समिति ने सिफारिशाें का समर्थन किया है और इसकी रपट को मंत्रिमंडल के सामने प्रस्तुत किये जाने वाले नोट का रुप दिया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, बहुत संभव है कि इसे मंत्रिमंडल की कल की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। केंद्र सरकार के निर्णय से उसके करीब 50 लाख कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनरों को फायदा होगा।