तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टर के क्रैश हो जाने की वजह से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य रक्षाकर्मियों का निधन हो गया। बता दें बिपिन रावत के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। पहले भी वे हेलिकॉप्टर क्रैश की घटना से बाल-बाल बच चुके हैं।
यह घटना लगभग 6 साल पहले की है। जब 2015 में भी सीडीएस बिपिन रावत को लेकर उड़ान भर रहा एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था, लेकिन उस घटना में बिपिन रावत की जान बाल-बाल बच गई थी। उस समय वे लेफ्टिनेंट जनरल (एलजी) के रूप में सेना में कार्यरत थे।
साल 2015 में ही उन्हें ऐसे ही एक और दुर्घटना का सामना करना पड़ा था। 2015, 3 फरवरी को जनरल रावत सेना के तीन जवानों के साथ एक चीता हेलिकॉप्टर में सवार थे। तभी नगालैंड में दीमापुर जिले के रबगापहाड़ हेलीपैड से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
उस वक्त जैसी ही हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी तभी इंजन जमीन से लगभग 20 फुट की ऊंचाई पर बंद हो गया था। इसके कारण हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि उस घटना में हेलिकॉप्टर में सवार लोगों को मामूली चोट ही आई थी।
बता दें कि तमिलनाडु में कुन्नूर के निकट हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और सशस्त्र बलों के 11 अन्य अधिकारियों की मृत्यु हो गई। दुर्घटना में जान गंवाने वालों में सीडीएस के सैन्य सलाहकार ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर और स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह शामिल हैं। दुर्घटना में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह घायल हुए हैं, वह जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति हैं। उनका वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    