भाजपा जितना भी कहे कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में विकास मुद्दा होगा, लेकिन हकीकत यही है कि जमीनी स्तर पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भाजपा, दोनों ने राम मंदिर के मुद्दे को लेकर राजनीति गरमाने की तैयारी शुरू कर दी है। सबसे निचले कैडर के स्तर पर यह बात साफ कर दी गई है ताकि चुनावी गरमी के दौर में इस बात को लेकर कोई भ्रम न रहे।
रामजन्भूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास की जयंती के उपलक्ष्य में अयोध्या में 10 जून से होने वाले एक सप्ताह के कार्यक्रम को दरअसल इसी की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसी संभावना भी जाहिर की जा रही है कि उस समय कोई बड़ा ऐलान संघ या विश्व हिंदू परिषद की तरफ से किया जा सकता है। संघ को इस बात में कोई लेशमांत्र भी संदेह नहीं है कि राम मंदिर के मुद्दे में चुनावों से पहले भाजपा के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण करने की पूरी काबिलियत है।
केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री और नोएडा से सांसद महेश शर्मा इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। दरअसल संघ महेश शर्मा को मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने के भी पक्ष में है। महेश शर्मा केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद खुलकर बोल चुके हैं कि केंद्र सरकार राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। महेश शर्मा संघ के एजेंडे को लेकर शुरू से ही मुखर रहे हैं। इसीलिए संघ उन्हें उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर पेश करने को तत्पर है। हालांकि पिछले सालभर से भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी का नाम चर्चा में रहा है। लेकिन संघ की पहली पसंद स्वाभाविक तौर पर महेश शर्मा ही हैं।
फैजाबाद से भाजपा के प्रमुख कार्यकर्ता गुड्डू तिवारी ने आउटलुक को बताया कि इस साल के अंत तक राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाने की उम्मीद है और इसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में राम मंदिर मुद्दा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता।
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