खतरनाक ब्लू व्हेल गेम पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय समस्या है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि दूरदर्शन और निजी चैनलों को इस गेम के नुकसान के बारे में अपने प्राइम टाइम प्रोग्राम में जागरूकता फैलानी चाहिए। कोर्ट ने ब्लू व्हेल पर डाली गई याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि दूरदर्शन और प्राइवेट चैनल इसके खिलाफ मुहिम चलाए और अपने प्राइम टाइम प्रोग्राम में जागरुकता के लिए कार्यक्रम भी प्रसारित करें।
Blue whale game ban plea: Centre told SC that it has set up an expert committee to look into the issue and file a report within three weeks.
— ANI (@ANI) 27 October 2017
Blue whale game ban plea: SC said Doordarshan & pvt channels must create awareness by telecasting its hazards in their prime time programme
— ANI (@ANI) 27 October 2017
वहीं सुप्रीम कोर्ट में जवाब देते हुए केंद्र ने कहा कि एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया है जो इस मामले को देखेगी और तीन महीनों के अंदर रिपोर्ट देगी।
बता दें कि इस जानलेवा गेम की वजह से तीन-चार महीने में गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुड्डूचेरी में इस गेम को खेलने वाले 10 लोग सुसाइड कर चुके हैं। वहीं यह गेम भारत समेत चीन, अमेरिका और कई देशों में गेम 130 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है।
क्या है ब्लू व्हेल गेम?
इस गेम में 50 दिन का एक टास्क दिया जाता है, जिसमें आखिरी दिन आत्महत्या का टास्क होता है। खिलाड़ी उसे पूरा करने और जीतने के लिए कुछ भी कर जाता है। इसका गेम का नाम ब्लू व्हेल इसलिए पड़ा क्योंकि हाथों में डॉट बनाकर उसे ब्लू व्हेल का आकार देना होता है, एक-दूसरे से डॉट को जोड़कर ये गेम खेला जाता है।
दरअसल, द ब्लू व्हेल किलर चैलेंज को रूस के सायकॉलजी के स्टूडेंट फिलिप बुदेकिन ने ईजाद किया था। उसे उसकी यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था। वह कहता था कि वह इस गेम के द्वारा सोसायटी को साफ करना चाहता है और ऐसे लोगों को मिटा देना चाहता है जो समाज के किसी काम नहीं आने वाले।