केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री पासवान ने बृहस्पतिवार को कानपुर के शर्करा संस्थान (शुगर इंस्टीट्यूट) के दीक्षांत समारोह के अवसर पर कहा कि एक समय था जब अरहर दाल के दाम 200 रूपये किलो तक पहुंच गए थे अब 100 रूपये तक आ गए हैं। पासवान ने कहा, दाल के दाम बढ़ने का मुख्य कारण जमाखोरी थी, हमारे बार-बार कहने के बावजूद राज्य सरकारों ने जमाखोरी के खिलाफ कठोर कार्रवाई नही की नतीजतन जनता को मंहगी दाल खरीदनी पड़ी। उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकारों को अरहर की दाल 66 रूपये किलो और उड़द की दाल 83 रूपये प्रति किलो देने को तैयार हैं, हमारे पास दाल का भंडार है जो राज्य सरकारें चाहें केंद्र से दाल खरीद सकती हैं। पासवान ने कहा कि इस बार दाल का फसल बंपर होने वाला है और जो जमाखोर हैं उन्हें कुछ मिलने वाला नही है। जमाखोर अपनी दालों को निकालकर बाजार में बेच दें क्योंकि इस बार दाल की पैदावार बहुत अच्छी हुई है।
एक सवाल के जवाब में पासवान ने कहा कि देश में आलू, गेंहू, चावल, प्याज, चीनी, टमाटर किसी चीज की कमी नहीं है। लेकिन देश के सभी किसानों को उनकी फसलों का सही और समान मूल्य पूरे देश में नही मिल पाता है। इसका कारण पूरे देश में एपीएमसी एक्ट (एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केट कमेटी) का एक समान स्तर पर लागू न होना है। हमारे देश के हर राज्य में अलग-अलग एपीएमसी कानून है अगर इस कानून में संशोधन हो जाए तो सभी जगह किसानों को उनकी फसलों का एक समान मूल्य मिलेगा और सभी जगह दाम भी सामान्य होंगे। उनसे पूछा गया कि कि नासिक मंडियों में प्याज एक रूपये किलो है जबकि देश की दुकानों में 20 रूपये किलो तक प्याज मिल रही है। इस पर पासवान ने कहा कि यह सभी जगह एपीएमसी कानून समान न होने के कारण हो रहा है। इससे पहले उन्होंने शर्करा संस्थान के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वह शिक्षा प्राप्त कर नई-नई कृषि की तकनीक विकसित करें ताकि उससे देश को लाभ मिल सकें। उन्होंने छात्रों को उपाधि और मेडल भी प्रदान किये।