केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम शुक्रवार को कोलकाता पुलिस के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुंची। सीबीआई ने उन्हें नोटिस देकर कल तलब किया है। दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा ली है। जिसके बाद सीबीआई ने सारदा चिट फंड घोटाले के मामले में पूछताछ के लिए राजीव कुमार को नोटिस दिया है कि वह शनिवार को पेश हों। ऐसे में संभावना है कि सारदा चिट फंड घोटाले में सबूत मिटाने के आरोपी राजीव कुमार को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
सारदा चिट फंड घोटाला मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्रर राजीव कुमार को गिरफ्तारी से संरक्षण संबंधी अपने आदेश को शुक्रवार को हटा लिया। अदालत ने सीबीआई के एक नोटिस को रद्द करने के उनके अनुरोध को भी खारिज कर दिया। इस नोटिस में कुमार से मामले में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया था।
इस समय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) के पद पर कार्यरत राजीव कुमार उस विशेष जांच दल का हिस्सा थे, जिसे राज्य सरकार ने अन्य चिटफंड मामलों के साथ ही इस घोटाले की जांच के लिए बनाया था मगर शीर्ष अदालत ने 2014 में इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया। कथित तौर सारदा ग्रुप ऑफ कंपनीज ने लाखों लोगों को निवेश पर ऊंचे रिटर्न का वादा कर उन्हें 2500 करोड़ रूपये का चूना लगाया था।
राजीव कुमार पर ये हैं आरोप?
साल 2013 में ममता सरकार ने सारदा चिट फंड और रोज वैली घोटाले की जांच का जिम्मा विशेष जांच दल (एसआईटी) को दिया था। इसके प्रमुख राजीव कुमार थे। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले सीबीआई को सौंप दिए। बाद में सीबीआई ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार ने कई दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन उसे नहीं सौंपे। इस बारे में राजीव कुमार को कई बार समन भेजा गया लेकिन वह सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए। सीबीआई के अनुसार इन्हीं साक्ष्यों के सिलसिले में उसके अफसर रविवार रात राजीव कुमार के आवास पर गए थे।
सीएम ममता के हैं करीबी
राजीव कुमार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। इसी साल फरवरी महीने में सीबीआई टीम उनसे पूछताछ करने पहुंची थी, तब राज्य के पुलिसकर्मियों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली थी। इस घटना के बाद ममता बनर्जी धरने पर भी बैठ गई थीं। सीबीआई के अधिकारियों को रोकने के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जमकर फजीहत का सामना करना पड़ा था।