सूत्रों ने यहां पीटीआई भाषा को बताया कि संचालन इकाई की बैठक में इसके सदस्य इस बात पर राजी हुए कि अकादमिक सत्रा 2017-18 से 10 वीं कक्षा के सभी छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए।
इस फैसले के लागू होने से पहले सरकार से अब मंजूरी लेनी होगी।
फिलहाल, सीबीएसई छात्रों पर यह निर्भर रहता है कि वे बोर्ड परीक्षा या स्कूल आधारित परीक्षा में किसी एक को चुने। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सीबीएसई छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा अनिवार्य बनाने का पहले समर्थन किया था क्योंकि यह सभी राज्य बोर्डों में होता है।
सूत्रों ने बताया कि यह विचार है कि 10 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के लिए 80 फीसदी भारांश परीक्षा में हासिल अंकों को दिया जाए, जबकि 20 फीसदी भारांश स्कूल आधारित मूल्यांकन को दिया जाएगा।
एक सूत्र ने बताया कि एक अन्य अहम फैसले में सीबीएसई ने मंत्रालय को यह सिफारिश करने का फैसला किया है कि तीन भाषाओं का फार्मूला मौजूदा छठी से आठवीं के साथ साथ नौवीं और 10 वीं कक्षा तक की विस्तारित किया जाना चाहिए। इसके तहत हिन्दी, अंग्रेजी और भारतीय भाषा पढ़ाई जाती है।
अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड ने केंद्र को यह सिफारिश भेजने का भी समर्थन किया है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाएं तीन भाषा फार्मूला के तहत पढ़ाई जानी चाहिए, जबकि विदेशी भाषाएं चौथी भाषा के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए।
अतीत में केंद्रीय विद्यालयों ने तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की पेशकश की थी लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस सिलसिले में अंतिम फैसला सरकार करेगी।
भाषा