पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक क्षेत्र में भारत और चीन के बीच डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है, जिसके बाद तनाव वाले क्षेत्र से सेना की तैनाती हटाई जा रही है। आखिर भारत की किस रणनीति के तहत चीन को पीछे हटना पड़ा? इसे लेकर भारत के नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने अंदर की कहानी बताई है।
इंडिया टुडे के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने बताया कि चीनी सेना को यह संदेश मिला कि वे बल के प्रयोग द्वारा एलएसी की स्थिति को एकतरफा नहीं बदल सकते। भारत अपने क्षेत्र की मजबूती से हिफाजत करेगा। उन्होंने बताया कि 29-30 अगस्त की दरमियानी रात को रेजांग ला और रेचिन ला पर हमारे सैनिकों ने कब्जा कर लिया। इससे भारतीय सेना दबदबे के पोजिशन पर आ गई। जब अगले दौर की बातचीत हुई तो भारत का पलड़ा भारी था।
नॉर्दन आर्मी कमांडर ने बताया कि इस वक्त डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया चल रही है। ये प्रक्रिया 10 फरवरी से शुरू हुई थी। इसे चार चरणों में पूरी होनी है। पहले चरण में टैंक-बख्तरबंद गाड़ियों की वापसी हो चुकी है। दूसरे और तीसरे चरण में उत्तर और दक्षिण बैंक से इंफ्रेंटी को डिसएंगेज किया जाएगा। वही चौथे चरण में कुछ महत्वपूर्ण चोटियों से डिसएंगेजमेंट प्रोसेस होगा। उन्होंने बताया कि हर डिसएंगेजमेंट को हम वेरीफाई कर रहे हैं। चीनी सेना फिंगर 4 से फिंगर 8 के पीछे जा रही है। यहां उसने काफी निर्माण कर लिया था।
बता दें कि डिसएंगेजमेंट योजना के अनुसार, चीन फिंगर आठ के पास चला जाएगा और भारत पीछे हटकर फिंगर 3 के पास अपने धन सिंह थापा पोस्ट के पास चला जाएगा। इसके साथ ही दक्षिणी किनारे पर मौजूद तैनाती को भी हटा लिया जाएगा। इसके बाद जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती है दोनों देशों की ओर से पैट्रोलिंग नहीं होगी।
बता दें कि चीन ने पैंगोंग लेक के टकराव वाले क्षेत्र से अपने बंकरों को तोड़ दिया है। तंबू उखाड़ दिए हैं और अपनी तोपों को भी हटा दिया है। अब चीन की सेना इस जगह को खाली कर रही है।