सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से यह समझने के लिए फाइल मंगवाई है कि क्या इसमें किसी तरह की सुरक्षा से संबंधित जानकारी है। सशस्त्र बलों के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी लोकेश बत्रा ने प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं, हवाई यात्रा पर किए गए खर्च, उड़ानों की सेवा लेने के लिए दिए गए निर्देश और प्रक्रिया, उड़ानों के रिटर्न दाखिल करने और यात्रा के समापन पर पेश किए गए बिलों का ब्यौरा मांगा है। बत्रा ने अगस्त 2015 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर कर जानकारी की मांग की है। एयर इंडिया की उड़ानों के लिए दिए गए बिलों की जानकारी उपलब्ध कराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्री ने आरटीआई कानून की धारा 8 के छूट खंडों के आधार पर इनकार कर दिया। जबकि पीएमओ ने इस आवेदन पर धारा *(1) (क) लागू कर दिया और कहा कि यह जानकारी भारत की अखंडता और संप्रभुता एवं राज्य के सुरक्षा हितों को प्रभावित करेगी ।
बत्रा को जो एकमात्र जानकारी दी गई वह ये थी कि “प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए विमान की मांग विभिन्न सैन्य और सुरक्षा के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एयर इंडिया या भारतीय वायु सेना द्वारा की गई। यात्रा पूरी होने के बाद प्राप्त हुए बिलों को निपटान के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के पास भेजे जा रहे हैं।" इसपर बत्रा ने सीआईसी का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि यात्रा के बिल और बिल के निपटारे की प्रक्रिया में कोई सुरक्षा विवरण शामिल नहीं है। उन्होंने कहा है यह मामला जनता के ठोस हित में हैं क्योंकि इसमें एयर इंडिया को दी जाने वाली राशि करदाताओं का पैसा है। केंद्रीय सूचना आयोग को यह तय करना है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे के लिए चार्टर्ड विमानों पर किए गए खर्च की जानकारी सूरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए।