मनमोहन सिंह ने मामले की जांच कर रही सीबीआई को यह भी बताया कि उन्होंने ओडिशा में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोल ब्लाक आवंटित करने के बारे में बिड़ला को न तो किसी प्रकार का वादा किया था और न ही कोई आश्वासन दिया था।
वर्ष 2005 में कोयला मंत्रालय का भी पदभार देखने वाले सिंह ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में बिड़ला और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पत्र को सावधानीपूर्वक पड़ताल के लिए केवल मंत्रालय को भेज दिया था। उन्होंने कहा, पूछे जाने पर , मैं कहता हू कि याद नहीं पड़ता कि मेरे पीएस के नोटिंग के अलावा किसी को स्मरणपत्र जारी करने के लिए कहा हो। यह एक सामान्य प्रशासनिक मामला है। प्रधानमंत्री कार्यालय इस प्रकार के मुद्दों में नहीं जाता है। खैर, मैंने पहले ही कहा था कि मैंने किसी को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की और फैसला लेने में कोई अनावश्यक जल्दबाजी नहीं की गयी।
बिड़ला ने कोल ब्लाक के लिए हिंडाल्को पर विचार नहीं करने के फैसले को बदलने के लिए सरकार से अपील करते हुए पत्र लिखे थे तो वहीं पटनायक ने फैसले की समीक्षा की अपील की थी।
इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा बतौर आरोपी तलब किए गए मनमोहन सिंह ने एजेंसी को एक बयान में बताया था कि हिंडाल्को को समायोजित करने की मंत्राालय की सिफारिश को उन्होंने मंजूरी दी थी।