इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और 50 फीसदी वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के मिलान की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए विपक्ष की 21 पार्टियों को एक सप्ताह का समय दिया है। चुनाव आयोग ने इस याचिका का विरोध किया है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि वीवीपैट की 50 प्रतिशत पर्चियों का मिलान करके चुनाव नतीजे घोषित किए जाने चाहिए।
50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान करने के मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान विपक्षी पार्टियों के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने पार्टियों को अगले हफ्ते सोमवार तक का समय दिया है।
इससे पहले सुनवाई में क्या हुआ था
इस मामले पर 25 मार्च को सुनवाई थी। सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को 28 मार्च तक यह बताने का निर्देश दिया था कि क्या वह आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए मौजूदा समय में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में किए जाने वाले वीवीपैट के नमूना सर्वेक्षण की संख्या बढ़ाकर एक से ज्यादा कर सकता है या नहीं।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आयोग से कहा था कि वह 28 मार्च को अपराह्न चार बजे तक इस संबंध में जवाब दें। पीठ ने आयोग को यह बताने का भी निर्देश दिया था कि क्या मतदाताओं की संतुष्टि के लिए वोटर वैरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
पीठ ने संकेत दिया था कि वह चाहती है कि वीवीपैट की संख्या बढ़ाई जाए। उसने कहा कि यह आशंकाएं पैदा करने का सवाल नहीं है बल्कि यह ‘संतुष्टि’ का मामला है। पीठ ने इस निर्देश के साथ ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी नेताओं की याचिका पर सुनवाई एक अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी थी।
ये है विपक्षी दलों की मांग
21 विपक्षी दलों की मांग है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे से पहले कम से कम 50% वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से किया जाए। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग को लेकर गुरुवार को 10 से ज्यादा विपक्षी दलों के नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आम आदमी पार्टी और टीडीपी समते 21 विपक्षी दलों ने एक याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ताओं ये नाम है शामिल
याचिकाकर्ताओं में एनसीपी के शरद पवार, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल के डेरेक ओ. ब्रायन, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, सपा के अखिलेश यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, द्रमुक के एमके स्टालिन, सीपीएम के टीके रंगराजन, राजद के मनोज कुमार झा, एनसी के फारुख अब्दुल्ला, सीपीआई के एसएस रेड्डी, जेडीएस के दानिश अली, रालोद के अजीत सिंह, एआईडीयूएफ के मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, हम के जीतन राम मांझी, प्रो. अशोक कुमार सिंह, तेदेपा, 'आप' आदि शामिल हैं।
पहले भी उठाए थे ईवीएम पर सवाल
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उन्हें ईवीएम की प्रमाणिकता पर संदेह है, जो चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता पर भी संशय पैदा करता है। ऐसे में आयोग यह अनिवार्य करे कि 50% ईवीएम मतों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाए। 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव आयोग को भी ज्ञापन सौंपा। नवंबर-दिसंबर में पांच विधानसभाओं में हुए चुनाव के दौरान भी इन पार्टियों के द्वारा ईवीएम को लेकर सवाल उठाए गए थे।
5 फरवरी को इन दलों ने चुनाव आयोग से की थी यह मांग
इससे पहले इन दलों ने गत माह 5 फरवरी को चुनाव आयोग से यह मांग की थी, लेकिन आयोग ने गत सप्ताह चुनावों की घोषणा करते हुए वीवीपैट मिलान का प्रतिशत बढ़ाने से आदेश देने से इनकार कर दिया था। आयोग ने कहा था कि इस बारे में भारतीय सांख्यिकी संस्थान से राय ली जा रही है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
आयोग ने यह भी कहा था कि इस संबंध में मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। चुनावों में फिलहाल एक विधानसभा सीट पर एक ईवीएम के मतों का वीवीपैट पर्चियों से मिलान किया जाता है।