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कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का देशव्यापी चक्का जाम आज

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने हाल ही में बने कृषि कानूनों के खिलाफ पांच नवंबर...
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का देशव्यापी चक्का जाम आज

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने हाल ही में बने कृषि कानूनों के खिलाफ पांच नवंबर को देश व्यापी चक्का जाम करने का ऐलान किया है। लिहाजा उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में किसान संगठनों के बड़े विरोध प्रदर्शन की उम्मीद है।

हरियाणा के 34 किसान संगठनों ने मिलकर 5 नवंबर के रास्ता रोको कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम के तहत दोपहर 12 से 4 तक प्रदेश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर किसान सड़कों पर बैठकर शांतिपूर्वक तरीके से प्रदर्शन करेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से किसान केंद्र सरकार द्वारा 3 किसान विरोधी कानून लाने के खिलाफ अपना रोष व्यक्त करेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि वह इन कानूनों को वापस ले।

पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर जिला सिरसा के मुसहाबाद और जींद जिले के दातासिंहवाला में हरियाणा और पंजाब दोनों के आंदोलनकारी किसान मिलकर जाम करेंगे। 

एंबुलेंस और अन्य किसी इमरजेंसी वाले लोगों को रास्ता दिया जाएगा

मीडिया को यह जानकारी देते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य सर्वश्री सत्यवान प्रेम सिंह गहलावत और योगेंद्र यादव ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन पूरे देश भर में किया जाएगा। यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण होंगे। आंदोलनकारियों ने फैसला किया है कि सड़क रोको के दौरान एंबुलेंस और अन्य किसी इमरजेंसी वाले लोगों को रास्ता दिया जाएगा। उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि पुलिस और प्रशासन किसानों के गुस्से को समझते हुए इस विरोध प्रदर्शन में कोई दखल नहीं देगा।

यह विरोध प्रदर्शन हरियाणा के 34 किसान संगठनों द्वारा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले चल रहे अभियान का हिस्सा है। इस अभियान के तहत 9 नवंबर को सीएम सिटी करनाल में रैली का आयोजन किया गया है। उसके बाद 26 और 27 नवंबर को देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर डेरा डालेंगे।

यूपी में 4 घंटे का चक्का जाम

वहीं उत्तर प्रदेश में  4 घंटे का चक्का जाम होगा उसके बाद दिल्ली जाने की तैयारी भी होगी जहां देशभर के अलग-अलग किसान संगठन अपना समर्थन देकर के इस बिल का विरोध जतायागे। एआईकेएससीसी ने किसान संगठनों द्वारा दिये गये समर्थन तथा नवम्बर के विरोध कार्यक्रमों में भाग लेने का स्वागत किया।

देश भर के किसान 3 किसान विरोधी, कारपोरेट पक्षधर खेती के केन्द्रीय कानून और नए बिजली बिल 2020 वापस कराने के लिए आज संघर्ष के अगले दौर के रूप में 4 घंटे का ‘‘चक्का जाम’’ करेंगे और 26 व 27 नवम्बर को दिल्ली चलो के लिए किसानों को गोलबंद करेंगे। इन कार्यक्रमों का नेतृत्व एआईकेएससीसी तथा पंजाब व हरियाणा के कई किसान संगठन कर रहे हैं।

एआईकेएससीसी ने बताया की यह लडाई ज़ारी रहेगी जब तक सरकार उनकी बातो को नही मानती । कोरोना पोजिटिव होने के बावजूद वी एम सिंह कह रहे है की सब से घर से ही बात कर विरोध का संचालन करते रहेंगे ।

देश भर मे आज बडा विरोध इन बिलो का 5 नवम्बर को रास्ता रोको दोपहर 12 बजे से 4 बजे दिखेगा  

एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप  और पंजाब व हरियाणा के 50 से ज्यादा संगठनों ने दिल्ली में 27 अक्टूबर को हुई बैठक लिया था और इसके बाद कई अन्य किसान संगठनों द्वारा इसे दिये गये समर्थन ने इन कानूनों के खिलाफ विरोध का दायरा और तेजी से व्यापक कर दिया है। चक्का जाम के साथ कई राज्य स्तरीय विरोध कार्यक्रम भी देश भर में आयोजित किये जाए यह तय हुआ और रास्ता रोको यह पहला चरण है ।

'यह बिल आम किसान के लिए नहीं बल्कि कॉरपोरेट हाउस के लिए है'

किसान नेता वी एम सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार की यह तीनों किसान बेल जिसे वह किसान के हितों का बताते हैं, किसानों की आय दुगनी हो जाएगी और उसकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी। बल्कि इसके उलट उनका और उनके अन्य संगठनों का मानना है कि किसान एक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएगा और यह बिल आम किसान के लिए नहीं बल्कि कॉरपोरेट हाउस के लिए है और इसलिए वह इस बिल का विरोध कर रहे हैं जो कि जारी रहेगा। खेती के तीन कानूनों ने इस बात का डर पैदा कर दिया है कि किसान व खेत मजदूर जो देश की जनसंख्या का आधा हिस्सा हैं, जीविका के सभी साधनों से वंचित हो जाएंगे। इन कानूनों का विरोध इस लिए बढ़ रहा है क्योंकि ये किसानों और गरीब उपभोक्ताओं की तुच्छ सुरक्षाओं को समाप्त कर देते हैं, ये फसलों के दाम का नियामन समाप्त कर नए व्यापार क्षेत्रों में उनके दाम कारपोरेट एकाधिकार से तय कराएंगे और न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा सरकारी खरीद का आश्वासन समाप्त कर देंगे। 

ये कारपोरेट नियंत्रित खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला से गरीबों को मंहगा खाना खरीदने के लिए मजबूर करेंगे। ये प्रधानमंत्री के दावों के विपरीत बिचैलियों की व्यवस्था भी स्थापित करते हैं। ये लोगों के भोजन की आवश्यकता तथा पर्यावरण की सुरक्षा पर आधारित खेती के प्रारूप को बदलकर मुख्य रूप से कारपोरेट बाजार आधारित खेती कराएंगे। ये कारपोरेटों द्वारा खाने की जमाखोरी व कालाबाजारी बढ़ाएंगे, जिससे खाना मंहगा होगा और लोगों की खाद्यान्न सुरक्षा घट जाएगी।  नया बिजली बिल किसानों व गरीबों को छूट पर बिजली आपूर्ति समाप्त कर देता है और 5 सितारा होटल व ट्यूबवेल तथा छोटी गोमती व बड़े शापिंग माल की बिजली दर एक कर देता है। 

ऐसे सब माहौल में वी एम सिंह कहते है की  जहां पर किसान को मिल रही सुविधाएं बढ़ाने के बजाय उसे घटाई जा रही है उसकी आजादी को खत्म करके उसे कॉर्पोरेट के हाथों बेचे जाने का क्या सोचा जा रहा है इन सब की लड़ाई को लेकर के चक्का जाम के बाद दिल्ली कूच की तैयारी है जो कि 26 तारीख को होना है और वहां किसान अपनी ताकत दिखाएंगे। जिसमें अन्य कार्यक्रम भी आयोजित होंगे और दिल्ली चलो में किसान 26 को रामलीला मैदान में एकत्रित होंगे। विरोध को एआईकेएससीसी वर्किंग ग्रुप को समर्थन देने के लिये वी एम सिंह ने सब को धन्यवाद दिया और किसानो का इसमे भाग लेने के लिये आभार व्यक्त किया है । 

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