एक अधिकारी ने बताया, अब से देश के किसी भी हिस्से में आतंकी हमले, नक्सली हिंसा, सीमा पार से गोलीबारी, गोलाबारी या आईईडी विस्फोट में मरने वाले नागरिकों को एक समान पांच लाख रूपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह राशि मृतकों के परिजन को दी जाएगी। एेसी घटनाओं के चलते 50 फीसदी या अधिक निशक्तता आने पर या असमर्थता की स्थिति में भी पीडि़तों को पांच लाख रूपये दिए जाएंगे।
मुआवजे की राशि इस शर्त पर भी निर्भर करेगी कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से पीडि़त परिवार के किसी भी सदस्य को रोजगार मुहैया नहीं कराया गया हो। अधिकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद ही गृह मंत्रालय इस संबंध में एक औपचारिक अधिसूचना जारी करेगा। जम्मू़-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर दूसरी ओर से होने वाली गोलाबारी एवं गोलीबारी में हर साल 50 से ज्यादा नागरिकों की जान जाती है। वर्ष 2015 में देश में हुए आतंकी हमलों में सात लोग मारे गए थे, वहीं 2015 में ही जम्मू़-कश्मीर में उग्रवाद के चलते 17 लोगों की जान गई थी।
वर्ष 2015 में माओवाद प्रभावित राज्यों में नक्सली हिंसा में 168 नागरिक मारे गए थे। आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा के पीडि़त नागरिकों को सहायता के लिए गृह मंत्रालय की योजना एक अप्रैल 2008 से प्रभावी है। इस योजना के तहत पीडि़त नागरिकों की मृत्यु होने या 50 फीसदी अथवा इससे अधिक निशक्तता या असमर्थता की स्थिति में इस शर्त पर तीन लाख रूपये की राशि दी जाती है कि पीडि़त परिवार के किसी भी सदस्य को राज्य सरकार से कोई रोजगार मुहैया नहीं कराया गया हो। अधिकारी के मुताबिक, अब इस राशि को तीन लाख रूपये से बढ़ाकर पांच लाख रूपये कर दिया गया है।
केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों:सीएपीएफ: के उन कर्मियों के परिजनों को एकमुश्त 15 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाती है, जिनकी मौत ड्यटी के दौरान विभिन्न परिस्थितियों में हो जाती है। इसके अलावा मृतक के परिजन, उसके अंतिम वेतन के समकक्ष राशि पारिवारिक पेंशन के रूप में आगे पाने के हकदार होते हैं। अनुग्रह राशि के अतिरिक्त सीएपीएफ की अपनी अलग मुआवजा व्यवस्था है। मुआवजा देने के लिए गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी व्यय योजना जैसी अन्य योजनाएं भी हैं।इसी तरह से सुरक्षा बलों के पास भी अपने कर्मियों को मुआवजा देने की अपनी अलग प्रणाली है।