हालांकि इस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने गिरफ्तारी के दिन तोमर को नोटिस तामील किए जाने की पुलिस की कार्रवाई को हास्यास्पद करार दिया। पुलिस ने अदालत से तोमर की पांच दिन की पुलिस हिरासत की मांग की थी। इस बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने तीखा हमला करते हुए केंद्र पर राजधानी में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया।
त्रिनगर से विधायक और पहली बार मंत्री बने 49 वर्षीय तोमर को दिल्ली बार काउंसिल की शिकायत पर जांच के बाद मंगलवार को 11 बजे के आसपास गिरफ्तार कर लिया गया। बार काउंसिल ने शिकायत की थी कि तोमर ने बिहार में मुंगेर के बिश्वनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज से कानून की डिग्री प्राप्त करने की बात कही है मगर यह डिग्री फर्जी है इसलिए पुलिस मामले की जांच करे। उन्हें ऐसे समय गिरफ्तार किया गया है जब दिल्ली सरकार में अधिकारों को लेकर आप सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच पहले ही तनातनी चल रही है।
तोमर के खिलाफ सोमवार की रात हौज खास थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और मंगलवार को उन पर धोखाधड़ी तथा आपराधिक षड्यंत्र से जुड़ी आईपीसी की धाराओं के तहत मामले दर्ज कर लिए गए। पुलिस पहले तोमर को हौज खास थाने लेकर गई और बाद में उन्हें वसंत विहार थाने ले जाया गया। तोमर के सहयोगियों के मुताबिक वह सुबह त्रिनगर में अपने दफ्तर में कुछ लोगों से बात कर रहे थे तभी करीब 30 से 40 पुलिसकर्मी उन्हें कुछ दस्तावेज लेने के बहाने बाहर ले गए और वहां से हौज खान थाने ले गए।
आपातकाल जैसे हालात : सिसौदिया
गिरफ्तारी को पूरी तरह असंवैधानिक करार देते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मोदी सरकार ने आप को सबक सिखाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, इसके बावजूद भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी शख्स को छोड़ा नहीं जाएगा। सिसोदिया ने कहा, दिल्ली में तानाशाही के माध्यम से आपातकाल जैसे हालात पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं क्योंकि हमने भ्रष्टाचार में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की है। पुलिस पर तोमर के साथ माफिया की तरह सलूक करने का आरोप लगाते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस ने मंत्री को बिना कारण बताए कार में बैठाया और थाने लाने से पहले उनके वाहन को जब्त कर लिया। सिसोदिया ने कहा, तोमर को इस तरह गिरफ्तार किया गया जैसे वह माफिया हैं। क्या वह भाग रहे थे? क्या उन्होंने बम लगाया था? क्या आपात स्थिति थी, खासकर जब कि एक घोटाले को फिर से खोला जा रहा है। उनकी गिरफ्तारी के पीछे गहरे कारण हैं। उन्होंने कहा, यह आप को सबक सिखाने की कोशिश है। उनके कॉलेज के हलफनामे में साफ लिखा है कि उन्होंने अपनी विधि डिग्री उत्तीर्ण की है। इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, इस तरह से यह नहीं होना चाहिए था। तब तो केंद्रीय राज्यमंत्री निहाल चंद का मामला इससे काफी बड़ा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं है और आगे कई मुश्किलें हैं। आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह और कुमार विश्वास ने भी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए सवाल उठाए कि क्या अब फर्जी डिग्री मामले में स्मृति ईरानी को भी गिरफ्तार किया जाएगा।
नियमों का पालन किया गयाः बस्सी
दूसरी ओर गिरफ्तारी के बाद आप के निशाने पर आई दिल्ली पुलिस के आयुक्त बी एस बस्सी ने कहा कि कानून के दायरे में कार्रवाई की गई है और किसी मंत्री को गिरफ्तार करने के निर्दिष्ट नियमों का पूरी तरह पालन किया गया है। बस्सी ने इस बारे में कहा, किसी मंत्री को गिरफ्तार करते समय कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं जिनका इस मामले में पालन किया गया है। फरियादी (दिल्ली बार काउंसिल) काफी समय पहले हमारे पास आये थे और हमने गंभीरता से मामले को देखा था। कानूनी रूपरेखा के तहत कार्रवाई की गयी है। पुलिस ने बाद में बाकायदे प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि तोमर की सिर्फ कानून की ही नई बल्कि स्नातक की डिग्री भी फर्जी पाई गई है। इस मामले में पुलिस ने 11 मई से अब तक पूरी बारीकी से छानबीन करने के बाद ही तोमर की गिरफ्तारी की है।
गृह मंत्रालय की भूमिका नहीं : राजनाथ
हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आप के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि गिरफ्तारी की साजिश उनके मंत्रालय में रची गई। सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने इसका आदेश नहीं दिया है। उन्होंने लखनऊ में कहा, गृह मंत्रालय इस तरह की गतिविधियों में लिप्त नहीं होता। कानून अपना काम करता है। इस तरह के किसी मामले में गृह मंत्रालय का हस्तक्षेप नहीं होता।
नियमों का पालन नहीं : गोयल
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि पुलिस ने निर्दिष्ट प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और तोमर की गिरफ्तारी के बारे में उन्हें सूचित नहीं किया गया। गोयल ने कहा, मुझे गिरफ्तारी के बारे में नहीं बताया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस केस में विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।
पुलिस के पास कुछ तो ठोस होगाः कानूनविद्
दिल्ली में कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ लंबे समय से काम कर रहे एक वरिष्ठ वकील ने इस पूरे मामले में कहा कि किसी मंत्री की गिरफ्तारी जैसा कदम पुलिस खाली हाथ तो नहीं ही उठा सकती है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रथम दृष्टया तो ऐसा लगता है कि पुलिस के पास कुछ ठोस सबूत हैं। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के वकील सुमित कुमार ने कहा कि जहां तक गिरफ्तारी प्रक्रिया का सवाल है तो पुलिस ने जो धाराएं लगाई हैं वह सभी संज्ञेय हैं और ऐसी धाराओं में गिरफ्तारी के लिए पुलिस को पहले से वारंट या किसी को समन भेजने की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए पुलिस की कार्रवाई को कानूनी रूप से गलत कहना थोड़ा मुश्किल होगा।
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