मोदी ने यहां आपदा जोखिम कटौती पर एशियाई मंत्रि-स्तरीय सम्मेलन (एएमसीडीआरआर) का उद्घाटन करते हुए गरीब परिवारों से ले कर छोटे और मध्यम उपक्रमों और बहुराष्ट्रीय निगमों से ले कर राष्ट्र राज्यों तक सभी के लिए जोखिम कवरेज के लिए काम करने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी विकास सेक्टरों को आपदा जोखिम प्रबंधन के उसूलों को आत्मसात करना चाहिए और महिलाओं की शिरकत तथा नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि वे किसी आपदा में सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। मोदी ने कहा कि आबादी के अनुपात में महिलाएं आपदाओं से बहुत ज्यादा प्रभावित होती हैं। उनके पास अनूठी ताकत और अंतर्दृष्टि होती है। हमें आपदा से प्रभावित महिलाओं की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अवश्य ही बड़ी संख्या में महिला वालंटियरों को प्रशिक्षित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, हमें पुनर्निर्माण को समर्थन देने वाली महिला इंजीनियरों, राजमिस्त्रियों और भवन-निर्माण कारीगरों और आजीविका बहाली के लिए महिला स्व-सहायता समूहों की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जोखिम आकलन, आपदा जोखिम प्रबंधन प्रयासों की प्रभाव-क्षमता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और सोशल मीडिया तथा मोबाइल प्रौद्योगिकी से मिले अवसरों के उपयोग पर जोर दिया जाना चाहिए।
मोदी ने स्थानीय क्षमता और पहल को आगे बढ़ाने, आपदाओं पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया में वृहद सामंजस्य लाने और यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि किसी आपदा से सीख लेने का मौका नहीं गंवाया जाए।
उन्होंने कहा कि हिंद महासागर सूनामी पूर्वसूचना प्रणाली सक्रिय हो गई है और अपने आस्ट्रेलियाई एवं इंडोनेशियाई समकक्षों के साथ भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के लिए क्षेत्रीय सूनामी बुलेटिन जारी करना अनिवार्य हो गया है।
उन्होंने कहा, चक्रवातों की पूर्व सूचना प्रणाली में सुधार को लेकर भी यही स्थिति है। भारत में, यदि हम वर्ष 1999 और 2013 के चक्रवातों के प्रभाव की तुलना करें तो हम अब तक की गई प्रगति को देख सकते हैं। इससे चक्रवातों के कारण होने वाली मौतों में पर्याप्त कमी आई है। इसे एक उत्कृष्ट वैश्विक कार्य माना जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदा के जोखिम में कमी की जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन को बढ़ावा देने और सतत विकास में एक अहम भूमिका है। इसलिए यह सम्मेलन प्रासंगिक हो गया है और उचित समय पर हो रहा है।
भाषा