मैसूर में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानवता के जो शत्रु भारत की तरक्की नहीं देख सकते, ऐसे लोगों ने पठानकोट पर हमला किया लेकिन हमारे सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को सफल नहीं होने दिया। पिछले सप्ताह अचानक लाहौर जाकर बड़ा राजनीतिक जोखिम लेने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वह देश के लोगों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हमारे सशस्त्र बल देश के दुश्मनों के नापाक इरादों को मात देने की क्षमता रखते हैं। प्रधानमंत्री ने पठानकोट हमले को युद्ध जैसा हमला करार दिया।
करीब 16 घंटे चले 'पठानकोट ऑपरेशन' में चार आतंकियों को मार गिराया गया है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में केवल पांच आतंकियों के मारे जाने की बात कही जा रही है। सेना की वर्दी में आए इन आतंकियों ने पठानकोट पहुंचने के लिए गुरदासपुर एसपी की नीली बत्ती लगी महिंद्रा एसयूवी का इस्तेमाल किया था। वायुसेना का यह एयरबेस पाकिस्तान की सीमा से महज 30-35 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां इस तरह के हमले की भनक खुफिया एजेंसियों को पहले ही लग चुकी थी इसलिए सुरक्षा प्रतिष्ठानों को अलर्ट कर दिया गया था।
सतर्क वायुसेना के जवानों और सुरक्षाबलों ने आतंकियों को वायुसेना स्टेशन के बाहरी हिस्से से आगे नहीं बढ़ने दिया और टेक्निकल एरिया तक पहुंचने के उनके मंसूबे नाकाम कर दिए। भीषण मुठभेड़ में एक कमांडो तथा वायुसेना के दो जवान शहीद हो गए जबकि कम से कम छह सुरक्षाकर्मी घायल हैं।
जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका से इंकार नहीं: राजनाथ सिंह
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी पठानकोट ऑपरेशन की सफलता पर सेना और सुरक्षा बलों को बधाई दी है। आतंकी हमले में पाकिस्तानी आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के शामिल होने की संभावना से इनकार करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी जमीन पर कोई भी आतंकी हमला होने पर कठोरता से पलटवार करेगा। उन्होंने कहा, कुछ सूचनाएं मिली थीं और इसलिए हम सतर्क थे। यह इनपुट न रहा होता तो औैर बड़ी क्षति हो सकती थी।
पहले से भी हमले की जानकारी: वायुसेना
वायुसेना ने कहा कि सही समय पर खुफिया सूचना मिलने और त्वरित कार्रवाई से पठानकोट वायुसेना स्टेशन में उसके महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों को नष्ट करने की आतंकवादियों की संभावित योजना विफल हो गयी। पाकिस्तान सीमा से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पठानकोट वायुसेना केंद्र वायुसेना के मिग-21 जंगी विमानों और एमआई-25 जंगी विमानों का अड्डा है। जैसे ही आतंकवादियों का यह समूह पठानकोट वायुसेना पर पहुंचा, प्रभावी तैयारी तथा सभी सुरक्षा एजेंसियों के समन्वित प्रयास की वजह से हवाई निगरानी प्लेटफार्म के जरिए उसका पता चल गया।