गौरतलब है कि इस साल आठ जनवरी को अदालत ने छोटा राजन समेत तीन अन्य सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आरोप तय किये थे। अदालत ने छोटा राजन और तीन अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी एवं आपराधिक षड्यंत्र के मामलों में भी आरोप तय किए थे। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि इन सरकारी अधिकारियों ने साजिशन राजन को फर्जी नाम मोहन कुमार नाम से पासपोर्ट जारी किया था।
बता दें कि छोटा राजन अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम का करीबी रह चुका है। छोटी-मोटी चोरी और शराब की तस्करी से शुरुआत करने वाले छोटा राजन ने पहले राजन नायर के लिए काम किया, जिसे बड़ा राजन के नाम से भी जानते हैं। बड़ा राजन की मौत से बाद छोटा राजन ने गैंग की कमान संभाली। इसके बाद, वह दाऊद से जुड़ गया और उसके इशारे पर मुंबई में काम करने लगा। 1988 में वह भारत से दुबई चला गया।
सुनवाई के दौरान सीबीआई का कहना था कि छोटा राजन हत्या, अपहरण के कई गंभीर मामलों में आरोपी था और जब 1995 में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया तब उसने भागने के लिए नई पहचान का इस्तेमाल किया। अदालत ने तीन सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों जयश्री दत्तात्रेय रहाटे, दीपक नटवरलाल शाह और ललिता लक्ष्मणन के खिलाफ भी आरोप तय किये। राजन के वकील ने कहा कि उन्हें आरोपपत्र के आधार पर आरोप तय किये जाने से कोई आपत्ति नहीं है।