कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि अगर जम्मू और कश्मीर की प्रगति चाहिए, तो श्रीनगर में नजरबंदी में रखे गए सभी राजनीतिक नेताओं को रिहा करना होगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला की मौजूदगी में मीडियाकर्मियों से बात करने वाले आजाद ने कहा, "अगर जम्मू-कश्मीर को प्रगति करनी है, तो श्रीनगर में नजरबंदी के तहत सभी राजनीतिक नेताओं को रिहा करना होगा।"
राज्यसभा में विपक्ष के नेता आजाद ने कहा, "राजनीतिक प्रक्रिया जम्मू और कश्मीर में शुरू होनी चाहिए। जम्मू और कश्मीर में उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए जल्द चुनाव कराना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। मैं सात महीने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला से मिला। उन्हें इन सात महीनों के लिए हिरासत में लिया गया था। उनके हिरासत का कारण अभी तक मुझे ज्ञात नहीं है।"
राज्य में तीन सालों तक नहीं हुआ कोई काम
आजाद ने कहा कि तीन वर्षों तक किसी भी परियोजना या सड़कों के बारे में कोई काम नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में बेरोजगारी है। पर्यटन, हस्तकला और आयात और निर्यात जैसे अन्य व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं। जम्मू में भी, परिवहन, उद्योग प्रभावित हुए हैं।
जम्मू और कश्मीर को फिर से राज्य घोषित किया जाना चाहिए
आजाद ने कहा कि जम्मू और कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का निर्णय जम्मू और कश्मीर के लोगों का अपमान है। इसे निरस्त किया जाना चाहिए। जम्मू और कश्मीर को फिर से राज्य घोषित किया जाना चाहिए।"
इससे पहले आज आजाद ने फारूक अब्दुल्ला से यहां उनके आवास पर मुलाकात की।
सात महीने से नजरबंद थे फारूक
इससे पहले तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक ने रिहा होने के बाद अपने बेटे उमर अब्दुल्ला से श्रीनगर की उप-जेल में मुलाकात की, जहां वे नजरबंद हैं। केंद्र द्वारा जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने के बाद सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिए गए एनसी प्रमुख को हिरासत में लेने के आदेश जारी किए जाने के बाद फारूक को शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया। वह सात महीने से नजरबंद थे। फारूक के बेटे उमर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती सहित जम्मू और कश्मीर में कई मुख्यधारा के नेताओं को भी अगस्त में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद नजरबंद कर दिया गया।