पिछले दिनों जेएनयू में एक कार्यक्रम के मामले में तीन छात्रों की गिरफ्तारी के बाद जेएनयू को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है। इस बार मामला गूगल मैप में राष्ट्रविरोधी, सिडिशन और देशभक्ति जैसे शब्द सर्च करने पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की ओर इशारा किए जाने का है। जेएनयू पर राष्ट्रविरोधी का ठप्पा लगाए जाने के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों ने इस तकनीकी प्रमाणन पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस पूरे विवाद पर संपर्क किए जाने पर गूगल के अधिकारियों ने कहा कि वे इस खामी के समाधान की कोशिश में जुटे हैं।
उधर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला रशीद शोरा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, इस संबंध में गूगल को एक आधिकारिक पत्र भेजने के लिए हम प्रशासन के समक्ष मुद्दा उठाएंगे। हम एक संस्थान पर देशविरोधी ठप्पा लगाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इंटरनेट सर्च कंपनी इसे प्रमाणित करने में एक कदम आगे बढ़ गई है। एक अन्य छात्रा एन साईं बालाजी ने कहा, जब गूगल मैप पर मैंने यह देखा तो मुझे इस पर हंसी आ गई। लेकिन जब इस पर मैंने सोचा तो मुझे यह खौफनाक लगा। खौफनाक इसलिए नहीं कि यह मेरे विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि इसलिए कि सरकारी सत्ता और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जरिये किसी भी संस्थान के साथ ऐसा किया जा सकता है। क्या गूगल मैप इसके लिए जवाबदेह है?
गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा, हमें यह दिक्कत पता है और इसे ठीक करने के लिए काम कर रहे हैं। पहचान जाहिर नहीं करने पर जेएनयू संकाय के एक सदस्य ने कहा, जेएनयू पर राष्ट्रविरोधी का संदर्भ दिए जाने पर हमें कड़ी आपत्ति है लेकिन देशभक्ति (पेट्रियोटिज्म) और भारत माता की जय के लिए भी यही परिणाम दिखाता है इसलिए यह एक तकनीकी दिक्कत हो सकती है। मैप सर्विस में इस तरह की तकनीकी अड़चन कोई नई बात नहीं है। पिछले साल निगर हाउस सर्च करने पर यूजरों को व्हाइट हाउस की तरफ निर्देशित किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सर्च करने पर यह 10 शीर्ष अपराधियों की सूची में दिखा। दोनों मामलों में गूगल ने तकनीकी खामी के लिए उनसे माफी मांगी थी।