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दिल्ली वायु प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार उचित कदम उठाए नहीं तो अदालत बनाएगी टास्क फोर्स

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब की सरकारों को क्षेत्र में वायु...
दिल्ली वायु प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार उचित कदम उठाए नहीं तो अदालत बनाएगी टास्क फोर्स

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब की सरकारों को क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी सभी निर्देशों का तुरंत पालन करने का निर्देश दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता की स्थिति को नियंत्रित करने की मांग करने वाले एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बुधवार शाम तक हलफनामे प्रस्तुत किए जाएं। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई गुरुवार (2 दिसंबर) करेगी।

पीठ ने राज्यों को 24 नवंबर को न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन करने का भी निर्देश दिया है, जिसमें निर्माण श्रमिकों को कल्याणकारी धनराशि वितरित करने की बात कही गयी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि तमाम एडवाइजरी और निर्देश जारी होने के बावजूद जमीनी नतीजे 'शून्य' हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकारें 'आयोग के लिए जारी किए गए निर्देशों को लागू नहीं करती हैं तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के उपायों के कार्यान्वयन के लिए अदालत एक टास्क फोर्स का गठन करेगी।'

सोमवार को भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को आयोग द्वारा एनसीआर राज्यों की प्रदूषण कम करने के लिए दिए गए विभिन्न निर्देशों के बारे में बताया।  

सॉलिसिटर जनरल के अनुसार, "हम प्रत्येक राज्य से जवाब देने के लिए कहेंगे कि उन्होंने किस निर्देशों को लागू किया है। अन्यथा हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स बनाने के लिए मजबूर किया जाएगा।"

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने अपने प्रस्तुति में बताया कि कोर्ट द्वारा लगाए गए निर्माण प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम चल रहा था। कोर्ट ने इस पहलू पर भी सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगा है।

न्यायालय ने कहा, "वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर तक गिरने की प्रतीक्षा करने के बजाय, आयोग को मौसम की स्थिति को देखते हुए अग्रिम कदम उठाने चाहिए।"

इससे पहले नवंबर के दूसरे सप्ताह में जब दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर तक गिर गई थी, तब भी कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनसीआर को आपातकालीन उपाय करने के लिए कहा था। तब बेंच ने कहा था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण उद्योग, बिजली, वाहन यातायात और निर्माण हैं, न कि पराली जलाना जैसा कि अनुमान लगाया जाता है।

गौरतलब हो कि, प्रदूषण के गंभीर स्तर के कारण 2 सप्ताह तक बंद रहने के बाद, दिल्ली के स्कूल सोमवार को सभी कक्षाओं के लिए फिर से खुल गए हैं।

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