देश को भ्रष्टाचार को मुक्त करने की दिशा में काम कर रही मोदी सरकार ने एक बार फिर इस दिशा में बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने मंगलवार को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के 15 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन कार्यमुक्त कर दिया है। इन सभी अधिकारियों को नियम 56जे के तहत जबरन कार्यमुक्त किया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, जिन अधिकारियों को कार्यमुक्त किया गया है उनमें प्रधान कमिश्नर, कमिश्नर, अतिरिक्त कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर रैंक के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह सभी अधिकारी आज से कार्यमुक्त हो गए हैं।
जानें क्या कहता है नियम 56जे
इन अधिकारियों को नियम-56जे के तहत कार्यमुक्त किया गया है। नियम 56 सार्वजनिक हित को देखते हुए प्रयोग में लाया जाता है जिसके माध्यम से नौकरशाहों की कार्यकाल को खत्म किया जाता है। यह ज्यादातर भ्रष्टाचार के मामले में प्रयोग में आता है। इसमें 25 साल का कार्यकाल और 50 की उम्र को पार करने वालों का कार्यकाल खत्म कर उन्हें रिटायर कर दिया जाता है।
इन अफसरों पर मोदी सरकार की कार्रवाई
जिन अधिकारियों पर सरकार ने गाज गिराई है उनमें प्रमुख आयुक्त डॉक्टर अनूप श्रीवास्तव, आयुक्त अतुल दीक्षित, संसार चंद, जी श्री हर्षा और विनय बृज सिंह शामिल हैं। इसके अलावा अतिरिक्त आयुक्त के पद से अशोक आर महिदा, वीरेंद्र कुमार अग्रवाल और राजू सेकर को कार्यमुक्त किया गया है।
वहीं इनके अलावा उपआयुक्त पद पर तैनात अमरेश जैन और अशोक कुमार असवाल; ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार, सहायक कमिश्नर एस एस पबाना, एस एस बिष्ट, विनोद कुनार सांगा, मोहम्मद अल्ताफ का नाम शामिल है।
इससे पहले 12 इनकम टैक्स अधिकारियों को किया जा चुका है कार्यमुक्त
इससे पहले मोदी सरकार नियम 56जे के तहत कमिश्नर और जॉइंट कमिश्नर रैंक के 12 अधिकारियों को जबरन कार्यमुक्त किया जा चुका है। सरकार ने इन अधिकारियों 10 जून को कार्यमुक्त किया था। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार जैसे गंभीर आरोप थे। नोएडा में तैनात आईआरएस अधिकारी पर आयुक्त स्तर की दो महिला अधिकारियों के यौन उत्पीड़न का आरोप भी था।
इन अफसरों पर गिरी थी गाज
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जिन अफसरों पर ये कार्रवाई की गई थी उनमें अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल हैं।
दरअसल, माना जा रहा है कि ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा आलसी और न के बराबर काम करने वाले अधिकारियों को सेवा से मुक्त करना है। सरकार ने खराब परफॉर्मेंस करने वाले अधिकारियों की लिस्ट भी बनाई है। वहीं अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने से सरकार की इस प्रक्रिया के जरिए रोजगार में भी इजाफा होगा, क्योंकि सरकारी पद खाली होंगे तो उस पर भर्ती के लिए सरकार के जरिए रिक्तियां भी निकाली जाने की संभावनाएं है।