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कई गढ़े मुर्दों की राजनीतिक चीख है गुजरात फाइल्स

गुजरात नरसंहार पर स्टिंग करने वाली पत्रकार राना अयूब की किताब पर हुई सघन चर्चा
कई गढ़े मुर्दों की राजनीतिक चीख है गुजरात फाइल्स

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल के जश्न की धूम के बीच गुजरात 2002 नरसंहार पर तीखी खबरों, पर्दाफाश के लिए मशहूर रही राना अयूब की धमाकेदार किताब गुजरात फाइल्स का विमोचन और उस पर चर्चा आज दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में हुआ। तहलका पत्रिका के साथ पत्रकार रही राना अयूब ने यह किताब गुजरात नरसंहार के बाद अपने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान जुटाई गई जानकारियों पर लिखी है।

केंद्र में नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर सीधा प्रहार करने वाली इस किताब पर चर्चा करने और उसमें शिरकत करने के लिए बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी जमात जुटी थी। इस पर चर्चा करने वालों में कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोश सिंह बल, इंडिया टीवी के राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ कानूनविद् इंदिरा जयसिंह मौजूद थीं। बातचीत में राना अयूब ने भी शिरकत की और बीच-बीच में अपनी किताब के कुछ बेहद सनसनीखेज अंश भी पढ़े। वक्ताओं का कहना था कि इस किताब में 2002 के नरसंहार से जुड़े ऐसे तथ्य-ब्यौरे हैं, जिन पर लंबे समय से बात होनी कम हो गई है। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह किताब उजागर करती है कि किस तरह से हमारी कानून व्यवस्था राज्य समर्थित हिंसा से निपटने में विफल है। यह बात सबसे पहले 2002  में उभर कर सामने आई। हालांकि उन्हें अभी भी यह उम्मीद है कि कानूनी लड़ाई जीती जा सकती है।

राजदीप सरदेसाई ने चर्चा के दौरान एक जरूरी सवाल उठाया कि आज भारतीय लोकतंत्र गहरे संकट में है। चुनावों में जीत ही सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में स्थापित किया जा रहा है, बाकी तमाम बुराइयों और घटनाओं को जीत के आगे नगण्य बनाया जाता है। यह खतरनाक है। 2002 के कत्लेआम के बात हुई चुनावी जीत को इसी पैमाने पर देखा जा सकता है। आज हम जोखिम भरे सवालों को पूछने से कतराते हैं, यह किताब सीधा सवाल पूछती है।

हरतोष सिंह बल ने बताया कि किस तरह से जोखिम उठाने वाली पत्रकारिता का ह्रास हुआ है। ऐसे में एक राजनीतिक साहस के साथ गुजरात फाइल्स उतरी है। कार्यक्रम में राना अयूब ने यह भी बताया कि उन्हें किस तरह की तकलीफें झेलनी पड़ी। तहलका ने भी यह स्टिंग पूरा छापने से मना कर दिया था। हालांकि उन्हें आज इस बात का संतोष है कि खुद अपने बल पर इस किताब को लिखा और छापा।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विभिन्न धाराओं के लोग मौजूद थे। इनमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज से लेकर कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित, पूर्व सांसद मणिशंकर अय्यर, एमएमआई के नेता औवैसी, लेखिका अरुधंति राय, वरिष्ठ अधिवक्ता राजुरामचंद्रन, जेएनयू नेता उमर खालिद, एपवा नेता कविता कृष्णन आदि शामिल थे।   

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