अदालत ने गत 13 दिसंबर को इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक मोहम्मद अहमद सिद्दीबापा उर्फ यासीन भटकल, पाकिस्तानी नागरिक जिया-उर-रहमान उर्फ वकास, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और एजाज शेख को दोषी ठहरया था। ये आतंकवादी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और यहां के चेरलापल्ली केंद्रीय कारागार में हैं।
हैदराबाद के दिलसुखनगर इलाके में भीड़भाड़ वाले शाॅपिंग क्षेत्र में 21 फरवरी 2013 को हुए दो विस्फोटों में आठ लोगों की मौत हुई थी और 131 अन्य घायल हुए थे। विशेष एनआईए अदालत में गत सात नवंबर को इस मामले में अंतिम दलीलें पूरी हुई थीं।
चूंकि मामले का प्रमुख आरोपी और इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक रियाज भटकल फरार है इसलिए उसके खिलाफ मुकदमे को अलग कर दिया गया था। अदालत ने यासीन भटकल और अन्य को आईपीसी, शस्त्र अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम :यूएपीए: के तहत दोषी ठहराया। एनआईए की विशेष अदालत ने बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद सजा सुनाई।
एनआईए के अनुसार रियाज भटकल ने विस्फोटक पदार्थों की व्यवस्था की और मंगलूर में असदुल्ला अख्तर और जिया-उर-रहमान को इसे हासिल करने का निर्देश दिया।
उसने कहा था कि विस्फोटक सामग्री हासिल करने के बाद हवाला और मनी ट्रांसफर माध्यमों से रियाज द्वारा भेजे गए धन को हासिल करने के बाद असदुल्ला अख्तर और वकास हैदराबाद पहुंच गए और वहां पहले से छिपे तहसीन अख्तर के साथ हो गए। एजेंसी ने कहा था कि अन्य जरूरी सामग्री हासिल करने के बाद उन्होंने मिलकर दो आईईडी तैयार किए। साथ ही हैदराबाद से आईईडी लगाने के लिए दो साइकिल की व्यवस्था की।
एनआईए ने कहा था कि आईईडी तैयार करने के बाद 21 फरवरी 2013 को आरोपियों ने दो साइकिल में दो बम लगाए। उन्होंने दिलसुखनगर में दो अलग-अलग स्थानों पर बम लगाए थे, जिसके बाद दो शक्तिशाली धमाके हुए। भाषा एजेंसी