विशेषज्ञ अब अगले कदम की तैयारी कर रहे हैं जो क्लीनिकल ट्रायल और विषाक्तता अध्ययन से जुड़ा है। इससे पहले व्यावसायिक उत्पादन के लिए उन्हें आयुष मंत्रालय और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीआई) से मंजूरी लेनी होगी।
यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन आने वाले जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक्स इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) एवं रैनबैक्सी रिसर्च लैबोरेट्री (अब सन फार्मा द्वारा संचालित) की संयुक्त परियोजना है। उन्होंने दवा के विकास के लिए आयुर्वेद का सहारा लिया है।
आईसीजीईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और परियोजना के ग्रुप लीडर नवीन खन्ना ने कहा कि पारंपरिक भारतीय चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद के ज्ञान का इस्तेमाल कर दवा का विकास किया गया है। दवा का चूहों पर परीक्षण किया गया जिसमें सकारात्मक नतीजे हासिल हुए और अब बड़े जानवरों पर इसका परीक्षण किया जाएगा।