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श्रीनगर हाईवे बंद होने पर बोलीं महबूबा मुफ्ती, इस फैसले के खिलाफ जाएंगे कोर्ट

सुरक्षा बलों के काफिले को सुरक्षित मार्ग मुहैय्या कराने के लिए जम्मू-श्रीनगर-बारामूला राष्ट्रीय...
श्रीनगर हाईवे बंद होने पर बोलीं महबूबा मुफ्ती, इस फैसले के खिलाफ जाएंगे कोर्ट

सुरक्षा बलों के काफिले को सुरक्षित मार्ग मुहैय्या कराने के लिए जम्मू-श्रीनगर-बारामूला राष्ट्रीय राजमार्ग पर आम नागरिकों के लिए प्रति सप्ताह दो दिन यातायात प्रतिबंध का फैसला रविवार को लागू हो गया। बता दें कि पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा के नजरिए से यह कदम उठाया जा रहा है।

साचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि सेना, पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को राजमार्ग की ओर जाने वाले चौराहों पर तैनात किया गया है ताकि सामान्य यातायात सुरक्षा बलों के काफिले की आवाजाही में किसी भी तरह दखल ना करें।

इसके खिलाफ हम कोर्ट जाएंगे: महबूबा मुफ्ती

इसको लेकर कई राजनीतिक पार्टियां विरोध पर उतर आई हैं। रविवार को हाईवे बंद होने पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि "यह गलत है। हम सरकार को बताना चाहेंगे कि आप इस तरह से कश्मीरियों का दमन नहीं कर सकते। यह हमारा राज्य है, ये हमारी सड़कें हैं, जब भी हम चाहें, हमें उनका उपयोग करने का अधिकार है। आपने देखा कि छात्रों को इसके कारण बहुत समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मैं लोगों से प्रतिबंध को स्वीकार नहीं करने की आग्रह करती हूं। इसकी अवहेलना करें, जहां चाहें जाएं। हम इस प्रतिबंध के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।"

31 मई तक हर सप्ताह रविवार और बुधवार को बंद रहेगा

आम नागरिकों के लिए यातायात 31 मई तक हर सप्ताह रविवार और बुधवार को बंद रहेगा। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में चुनाव के दौरान सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही बढ़ने के मद्देनजर यह प्रतिबंध लगाया गया है। श्रीनगर के जरिए उधमपुर से बारामूला जाने वाले मार्ग में प्रतिबंध लगाया जाएगा।

आम लोगों को करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना

चूंकि राजमार्ग घाटी के विभिन्न जिलों को जोड़ता है और 100 से अधिक क्रॉसवे हैं, इसलिए लोग यहां दिक्कतों का सामना कर रहे हैं और शिकायतें कर रहे हैं। उत्तरी कश्मीर के बारामूला के निवासी मोहसिन खान कहते हैं, "हमें बारामूला से श्रीनगर हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए राजमार्ग से जाने की अनुमति नहीं मिली।"

दक्षिण कश्मीर की यात्रा करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि उन्हें दर्जनों गांवों के वैकल्पिक रास्ते से जाना होगा। उन्होंने कहा, “ऐसे कई स्थान हैं जहां मुझे राजमार्ग को छूते हुए गुजरना है। मुझे नहीं पता कि वहां क्या होगा।‘’ शनिवार शाम को राजमार्ग पर बनिहाल में फंसे एक दूल्हे को जम्मू के डोडा जिले की ओर जाने के लिए जिलाधिकारी अनंतनाग से लिखित अनुमति लेनी पड़ी।

सोशल मीडिया पर पोलैंड पर जर्मन कब्जे से हो रही तुलना

आदेश के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग पर इन दो दिनों के दौरान सुबह 4 बजे से शाम 5 बजे तक नागरिक यातायात पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। सरकार के आदेश में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का सहारा लिया गया है, जिन्होंने फरवरी में कश्मीर पोस्ट पुलवामा आत्मघाती हमले की यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि काफिले के दिनों में किसी भी नागरिक यातायात की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस बीच, सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सरकारी आदेश को दिसंबर 1939 में पोलैंड पर जर्मन कब्जे के दौरान पोलिश सरकार के आदेश के समांनातर देखा जा रहा है, जिसने (पोलिश सरकार) 9 बजे से यहूदियों को रास्तों, सड़कों और सार्वजनिक चौकों में प्रवेश करने या उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया। सुबह 5 बजे तक पोलिश सरकार का आदेश जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया नेटवर्क पर वायरल हो गया।

पुलवामा हमले में 40 से अधिक जवान हुए थे शहीद

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अवन्तिपोरा क्षेत्र में 14 फरवरी को आतंकवादियों द्वारा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के भारतीय सुरक्षा कर्मियों के काफिले को निशाना बनाकर हमला किया गया जिसमें 40 से अधित जवान शहीद हो हुए थे। आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किया गया वाहन महिंद्रा स्कॉर्पियो था जिसमें 300 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक था। काफिले का पीछा कर रही विस्फोटक से भरी इस कार ने काफिले के पांचवी बस को बांयी तरफ से टक्कर मार दी। जिसके बाद बड़ा धमाका हुआ। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली।

30 मार्च को भी काफिले के पास हुआ था विस्फोट

जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 30 मार्च की सुबह एक असैन्य कार में उस समय धमाका हुआ जब सीआरपीएफ का काफिला वहां से गुजर रहा था। धमाका एक कार में रखे सिलेंडर की वजह से हुआ है।

सवाल यह उठ रहा है कि यह कार काफिले गुजरने के दौरान राज्यमार्ग पर कैसे पहुंची। जबकि नए नियम के मुताबिक, सैन्य काफिले के गुजरने के दौरान सिविलियन गाड़ियों पर रोक लगी है।

पुलवामा हमले के बाद सैन्य काफिले को लेकर नियम में बदलाव किए गए थे, लेकिन शनिवार को काफिले के पास हुए कार सिलेंडर विस्फोट से बड़ी चूक सामने आई है। जांच एजेंसी मामले की जांच में जुटी हुई है।

काफिले की सुरक्षा को लेकर क्या हैं नियम

- सैन्य काफिला गुजरने के दौरान सिविलियन गाड़ियों को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की होगी

- काफिले की गाड़ियों पर लाल झंड़े लगे होंगे ताकि कोई लाइन क्रॉस न करे। लाल झंडा क्रॉस करने वाली गाड़ी को शत्रु माना जाएगा

- गतिविधि के दौरान 15-20 मिनट के लिए उसी जगह पर ट्रैफिक ब्लॉक किया जाएगा जहां से काफिला गुजर रहा है

- सेना, पुलिस और सीआरपीएफ समन्वय के साथ काफिले के मूवमेंट को और सुरक्षित बनाने का काम करेंगे

- सीआरपीएफ रोड ओपनिंग पार्टी बनाने का काम जारी रखेगी। आर्मी हाईवे डॉमिनेशन टीम सेना के काफिले को आगे, बीच में पीछे से सुरक्षा देंगी

- नया नियम तोड़ने वाली और ओवरटेक का प्रयास करने वाली किसी भी गाड़ी को शत्रु समझा जाएगा

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