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जौहरियों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान

देश भर के आभूषण निर्माता एवं व्यापारी गैर चांदी वाले आभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाए जाने तथा 2 लाख रुपये और इससे अधिक के सौदे के समय ग्राहकों द्वारा पैन संख्या बताना अनिवार्य किए जाने का विरोध कर रहे हैं। एक माह से अधिक समय से जौहरी हड़ताल पर हैं लेकिन सरकार इस मामले में कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।
जौहरियों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान

 गांव से लेकर शहर तक हर जगह सोने-चांदी की दुकानें बंद पड़ी हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान कारोबारियों को तो ही रहा है, साथ ही, ग्राहकों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। शादी की तैयारी में जुटे लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह कहां से आभूषण खरीदें। हालांकि कुछ महानगरों में बड़े ज्वैलर्स इस हड़ताल में नहीं शामिल हैं लेकिन 90 फीसदी से अधिक कारोबारियों ने अपना व्यापार बंद किया हुआ है। जानकारों का मानना है कि इस हड़ताल से अरबों रुपये का नुकसान हुआ है, साथ ही, कारीगरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है।

ऑल इंडिया जेम्स एंड जूलरी ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष श्रीधर जीवी कहते हैं कि भले ही हमें नुकसान हो रहा हो लेकिन सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क को वापस लिए जाने तक हम हड़ताल जारी रखेंगे। वहीं ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन कहते हैं कि सरकार द्वारा पैन संख्या अनिवार्य किए जाने के बाद कारोबार में लगभग 20 प्रतिशत गिरावट आई है।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में चांदी के अलावा आभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव को वापस लेने के लिए जौहरियों ने हड़ताल शुरू कर दी। इस हड़ताल को जहां कांग्रेस का समर्थन है वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इनके समर्थन में कूद पड़े। इसके जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पहले दिल्ली सरकार सोने पर वैट समाप्त करे। जेटली का कहना है कि सरकार ने जो कदम उठाया है उसका फायदा आने वाले दिनों में मिलेगा। अभी व्यापारी भले ही हड़ताल कर रहे हों लेकिन जब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो जाएगा तब इसका फायदा दिखेगा। बहरहाल जौहरियों की हड़ताल का असर पर अब उन परिवारों पर दिखने लगा है  जिनके लिए यह रोजी-रोटी का सहारा है। 

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