नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने के खिलाफ लगी याचिका से जस्टिस एनवी रमना ने खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस रमना सुनवाई से अलग होने वाले तीसरे न्यायाधीश है। बता दें कि इस मामले से सीजेआई रंजन गोगोई और जस्टिस एके सीकरी खुद को पहले ही अलग कर चुके हैं। अब यह मामला एक नई बेंच को ट्रांसफर होगा। न्यायाधीश रमना ने मामले पर सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा कि वह एम नागेश्वर की बेटी की शादी में शामिल हुए थे।
गैर सरकारी संगठन 'कॉमन कॉज' और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने राव की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले की सुनवाई 16 जनवरी को हुई थी, जिसमें उनकी तरफ से वकील प्रशांत भूषण पेश हुए थे और उन्होंने मामले पर 18 जनवरी को सुनवाई करने के लिए कहा था।
सुनवाई के लिए तैयार हो गया था सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हो गई थी। इस याचिका में सीबीआई निदेशक की शॉर्ट-लिस्टिंग, चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता की भी मांग की गई है।
आरटीआइ कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज और एनजीओ कामन कॉज की ओर से दायर याचिका में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष तंत्र तय करने की भी मांग की गई है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि राव की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं की गई है। इस समिति में प्रधानमंत्री,सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और शीर्ष कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित न्यायाधीश इसमें शामिल होते हैं।
जस्टिस सीकरी भी हुए अलग
इससे पहले 24 जनवरी को सुनवाई के दौरान जस्टिस सीकरी ने खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने खुद को अलग करते हुए कहा था कि वो 10 जनवरी को हुई उस चयन समिति की बैठक का हिस्सा थे, इसलिए मामले में बने रहने के लिए उन्होंने अपनी अक्षमता जाहिर की।
इस मामले से सीजेआई रंजन गोगोई हुए अलग
बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस सीकरी से पहले सीजेआई रंजन गोगोई को करनी थी लेकिन सीजेआई ने भी खुद को इस केस अलग कर लिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें 24 जनवरी को होने वाली सीबीआई के नए डायरेक्टर को चुनने वाली मीटिंग में हिस्सा लेना है इसलिए वो इस केस की सुनवाई नहीं कर सकते।
जानें क्या है मामला
बता दें कि पिछले साल 23 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सीबीआई के दो बड़े अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की जगह नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया था।
इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से आलोक वर्मा को राहत मिली और उन्होंने दोबारा दोबारा कार्यभार संभाला लेकिन उसके ठीक बाद उच्चस्तरीय समिति ने उन्हें सीबीआई निदेशक पद से फिर हटा दिया। उसके बाद नागेश्वर राव को दोबारा अंतिरम निदेशक नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।