दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मध्य प्रदेश कांग्रेस भी लगातार कई स्थानों पर प्रदर्शन कर रही है। इन प्रदर्शन के बहाने ही सही कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच हाल में पैदा हुई दूरियां कम हो गई है। दोनों नेता प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभा रहे है। यह माना जा रहा है कि विधान सभा सत्र न बुलाने के मामले में कमलनाथ ने अपनी भूल सुधार ली और वे पार्टी लाइन के अनुसार बात कर रहे है।
मध्य प्रदेश में विधान सभा सत्र न चलाने के मामले नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने सरकार का साथ दिया था। उसके बाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने उनके खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था। दिग्विजय सिंह ने इस फैसले की खुली आलोचना भी की थी। इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच दूरियां बढ़ गई थी। कांग्रेस के कई नेताओं ने कमलनाथ के खिलाफ लॉबिंग भी शुरू कर दी थी। उसके बाद कमलनाथ को एहसास हुआ कि कांग्रेस की आपसी फूट का नगर निगम चुनाव में विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने अपनी ओर से पहल करके आपसी दूरियों को खत्म किया।
उसी क्रम में उन्होंने विधान सभा प्रमुख सचिव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस भेजा, जिसमें कोरोना के गलत आंकड़े प्रस्तुत कर विधान सभा सत्र को स्थगित करवाने की बात कही गई थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने की मांग की गई थी।
आपसी दूरियां कम कर एक जुट होने का ही परिणाम था कि किसानों के पक्ष में किया गया कांग्रेस का प्रदर्शन काफी असर दार रहा । कांग्रेसियों ने एकजुट होकर इसमें भाग लिया। अब सभी की नजर आने वाले विधान सभा चुनाव पर लग गई है। कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनावों में बड़ी संभावना दिख रही है। यही वजह है कि पार्टी एकजुट होकर चुनाव में जाना चाहती है जिससे बेहतर परिणाम मिल सके।