जम्मू- कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को निरस्त कर दिये जाने के बाद लगाई गई विभिन्न पाबंदियों को लेकर भले ही सरकार कोई खास नुकसान नहीं होने की बात कर रही है लेकिन इन प्रतिबंधों के चलते पिछले तीन माह के दौरान कश्मीर घाटी में व्यावसायिक समुदाय को 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। एक व्यापारिक संगठन ने इस संबंध में दावा किया है और कारोबारी नुकसान के लिये इंटरनेट सेवाओं के निलंबित रहने को मुख्य कारण बताया है।
व्यापारिक संगठन, कश्मीर वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष शेख आशिक के अनुसार, ‘‘कश्मीर क्षेत्र में अब तक कुल कारोबारी नुकसान 10,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है और सभी क्षेत्रों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। लगभग तीन माह होने को है और मौजूदा स्थिति को देखते हुये लोग अभी भी कारोबार नहीं कर रहे हैं। हाल के सप्ताहों में कुछ बाजार खुले और कारोबार शुरू किया गया लेकिन हमारे पास उपलब्ध सूचना के मुताबिक कामकाज काफी सुस्त रहा।’’
केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर में लागू धारा 370 के अधिकरत प्रावधानों को निष्प्रभावी कर दिया। उसके बाद सुरक्षा के नजरिए से राज्य में कई प्रकार की पाबंदियां लगाई गईं। सोमवार को इन पाबंदियों को लागू हुये 85 दिन हो गये। इन पाबंदियों के चलते मुख्य बाजार ज्यादातर समय बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन भी सड़कों से नदारद रहा। आशिक ने कहा कि शहर के लाल चौक इलाके में कुछ दुकानें सुबह के समय और शाम को अंधेरा होते समय खुलती हैं लेकिन मुख्य बाजार बंद हैं।
इससे उबरना मुश्किल
शेख आशिक ने कहा कि कितना नुकसान हुआ है इसका अनुमान अभी लगाना मुश्किल है क्योंकि स्थिति अभी तक सामान्य नहीं हो पाई है। इस दौरान कारोबारी समुदाय को गंभीर झटका लगा है और उसका इससे उबरना मुश्किल लगता है।
इंटरनेट सेवाओं का निलंबित रहना मुख्य वजह
आशिक ने कारोबारी नुकसान के लिये इंटरनेट सेवाओं का निलंबित रहने को मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘आज के समय में किसी भी कारोबार के लिये इंटरनेट सेवाओं का होना जरूरी है इसके बिना काम करना मुश्किल है। हमने इस बारे में राज्यपाल प्रशासन को अवगत करा दिया है। उन्हें बता दिया गया है कि कश्मीर में काम धंधे को नुकसान होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ जायेगी। आने वाले समय में इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।’’
करीब 50 हजार बुनकरों और दस्तकारों को नुकसान
आशिक ने कहा, ‘‘अगर हम हस्तशिल्प क्षेत्र की बात करें तो इससे जुड़े लोगों को जुलाई- अगस्त माह में आर्डर मिलते हैं और फिर उन्हें क्रिसमस त्योहार यानी नये साल के आसपास ये आर्डर पूरे करने होते हैं। ये दस्तकार कब अपने आर्डर पूरे कर पायेंगे? यह काम तभी हो पायेगा जब उन्हें कनेक्टीविटी मिलेगी। इसके अभाव में 50 हजार के करीब बुनकरों और दस्तकारों को रोजगार का नुकसान हुआ है।’’
सरकार करे भरपाई
कश्मीर वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को इस पूरे नुकसान की जिम्मेदारी लेनी चाहिये और व्यापारियों और कारीगरों के नुकसान की भरपाई करने के लिये कदम उठाने चाहिये।
एजेंसी इनपुट