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अभिनव गुप्त के बिना कश्मीरियत अधूरी : मोहन भागवत

आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का 91वां स्थापना दिवस खास है। पहली बार संघ प्रमुख के साथ स्वयंसेवक नए गणवेश में दिखे और हाल ही में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर एक अलग तरह का उत्साह था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने अपने सालाना संबोधन में संघ के बड़े नेता दीनदयाल उपाध्याय से लेकर स्वामी विवेकानंद तक और कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक की बात की।
अभिनव गुप्त के बिना कश्मीरियत अधूरी : मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा, भारत प्रगति कर रहा है और विश्व में कुछ ताकतें हैं जो भारत के प्रभाव से भय महसूस कर रही हैं। कश्मीर में सीमा पार की कौन सी ताकतें काम कर रही हैं, यह सब जानते हैं। भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भागवत ने 10वीं सदी के महान कवि और दार्शनिक अभिनव गुप्त का भी जिक्र किया। अभिनव गुप्त कश्मीर के थे। भागवत ने कहा, अभिनव गुप्त को कश्मीरियत में समाहित किए बिना कश्मीरियत अधूरी है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत हर साल नागपुर मुख्यालय में विजयादशमी के दिन संबोधित करते हैं। इस बार सर्जिकल स्ट्राइक होने और दिल्ली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के यह बोलने के बाद कि इस बार विजयादशमी खास होगी, सभी की निगाहें इस मसले पर भागवत की ओर थीं। अपने संबोधन में उन्होंने हाल ही में हुई सर्जिकल स्ट्राइल के लिए सेना को बधाई दी। सेना की प्रशंसा में उन्होंने कहा, हमारी सेना ने अभूतपूर्व शौर्य का परिचय दिया है। मोहन भागवत ने कथित गौ रक्षकों के व्यवहार की भी निंदा की। भागवत ने कहा, जाति, धर्म, भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। हाल ही गौ रक्षा द्वारा हमलों को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही ऐसी सोच को बदला जा सकता है। हालांकि उन्होंने गौ रक्षा पर जोर दिया और कहा कि गौ रक्षा जरूरी है और राज्यों को इस पर ध्यान देना चाहिए।  

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