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16 जूून की वो रात, त्रासदी के मिटे निशां, इस साल पहुंचेंगे सात लाख तीर्थालु

तीन साल पहले 16 जून की रात केदारनाथ में हुई भारी जल प्रलय के निशान अब मिटने लगे हैं। केदारनाथ मंदिर के पास शांत बह रही मंदाकिनी के नवनिर्मित किनारे श्रद़धालुओं में शायद यही संदेश दे रहे हैं, कि जख्‍म कितना भी घातक हो, वक्‍त सबसे बड़ा मरहम होता है। प्रलयंकारी उफान में 11,755 फुट की उंचाई पर स्थित हिमालयी धाम के डूबने के साथ ही देश भर से आये श्रद़धालु, पुजारी, व्यापारी और स्थानीय लोगों सहित करीब 5000 जिंदगियां बह गई थीं। रह गयी थी बस चीख और पुकार तथा अपनों का क्रंदन। उस मातमी माहौल को केदारनाथ की महिमा ने पीछे कर दिया है।
16 जूून की वो रात, त्रासदी के मिटे निशां, इस साल पहुंचेंगे सात लाख तीर्थालु

पिछले महीने ही शुरू हुई चारधाम यात्रा के दौरान अब तक केदारनाथ में दो लाख से ज्यादा तीर्थयात्री आ चुके हैं। अगर यही क्रम जारी रहा तो इस माह बाद यात्रा सीजन की समाप्ति तक केदारनाथ में पहुंचने वाले श्रद़धालुओं की संख्या रिकार्ड सात लाख तक पहुंचेगी।

पूरे देश को हिलाकर रख देने वाली इस आपदा के निशान दूर होने और पुनर्निर्माण कार्य के एक बड़े हिस्से के पूरा होने के साथ ही केदारपुरी फिर से लोगों के आने जाने और सभी प्रकार के गतिविधियों के शुरू होने से गुलजार नजर आने लगी है। नदी के सामने से शुरू होकर केदारनाथ मंदिर तक जाने वाली 50 फुट चौ़ड़ी सडक, हेलीकाप्टरों के लिये एक बड़ा हेलीपैड और श्रद़धलुओं के ठहरने के लिये सुंदर काॅटेज सहित कई प्रकार की आधारभूत सुविधाओं के विकास के कारण यह क्षेत्र काफी शानदार नजर आ रहा है।

श्रीकेदारनाथ-बदरीनाथ मंदिर समिति के विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह ने कहा कि राज्‍य प्रशासन ने केदारनाथ को कभी अपनी प्राथमिकता की सूची से नहीं हटाया और मंदिर क्षेत्र के पुनर्निर्माण के कार्य में लगी सभी एजेंसियों ने बिना रूके तीन साल तक काम किया, जिससे लोगों को तीर्थयात्राा को सर्वश्रेष्ठ अनुभव मिल सके।

उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीटयूट आॅफ माउंटेनियरिंग निम के निदेशक अजय कोठियाल ने कहा कि केदारनाथ में 80 फीसदी पुनर्निर्माण कार्य हो चुका है जबकि बचा हुआ 20 फीसदी काम भी अगले दो माह में पूरा हो जायेगा। क्षेत्र में बहुत सारे निर्माण कार्य का श्रेय निम को जाता है। निम ने केदारनाथ से लाखों टन मलबा हटाने, मंदाकिनी से मंदिर तक सड़क बनाने, हेलीपैड बनाने और श्रद़धालुओं के ठहरने के लिये मंदिर के निकट 25 काॅटेज बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।

 

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