शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर सरकार का फोकस रहने की संभावना पहले से जताई जा रही थी। गुरुवार को आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माना कि शिक्षा की गुणवत्ता बड़ी चुनौती है। इसमें सुधार के लिए उन्होंने कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए सरकार प्री नर्सरी से लेकर 12वीं क्लास तक को समग्र रूप से देखती है और इसके लिए नीति भी बनाएगी।
नवोदय की तर्ज पर एकलव्य विद्यालय
-ऐसे ब्लॉक जहां आदिवासियों की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है वहां आदिवासियों के लिए आवासीय एकलव्य स्कूलों की स्थापना की जाएगी। ये स्कूल नवोदय की तर्ज पर होंगे।
-शिक्षा में सुधार के लिए अगले 4 साल में 1 लाख करोड़ रुपये होंगे खर्च।
-स्कूल में ब्लैकबोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड की योजना।
-13 लाख से ज्यादा शिक्षकों को ट्रेनिंग दिए जाने का लक्ष्य। इस लक्ष्य की राह में तकनीकी डिजिटल पोर्टल 'दीक्षा' से मदद मिलेगी।
-शिक्षकों के लिए एकीकृत बी.एड. कोर्स की होगी शुरुआत।
-आईआईटी और एनआईटी में 16 नए प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर स्कूल ऑटोनोमस मोड में नए कॉलेज।
-प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो स्कीम की शुरुआत होगी। इसके तहत 1000 इंजीनियरिंग छात्रों को आईआईटी से पीएचडी करने का अवसर दिया जाएगा।
-इंस्टिट्यूट्स ऑफ एमिनेंस स्थापित करने की योजना।
-वडोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी स्थापित करने का प्रस्ताव।
-हर तीन संसदीय क्षेत्र के बीच में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना का लक्ष्य।
-देश भर में 24 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों की स्थापना होगी।