शाहजहांपुर जिले के लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार काफी सुर्खियां बंटोर रहा है। सर पर सेहरा बांध कर और घोड़ी पर सवार होकर बैंड बाजे की धुन पर नाचते हुए बारातियों के साथ अनोखे अंदाज में इसने नामांकन दर्ज कराया है। संयुक्त विकास पार्टी के प्रत्याशी वैद्यराज किशन पहले भी इस तरह के अपने अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं।
वैद्यराज किशन पिछले विधानसभा चुनाव में अर्थी पर लेट कर नामांकन कराने गए थे, इससे पहले वह भैंसा गाड़ी पर सवार होकर भी नामांकन करा चुके हैं। वह कई चुनावों में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।
हालांकि इस बार किशन दूल्हा बनकर घोड़ी पर सवार हुए लेकिन कलेक्ट्रेट से पहले ही उनकी बारात को रोक लिया गया और पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें घोड़ी से उतार दिया। इसके बाद वह कलेक्ट्रेट तक पैदल गए और नामांकन पत्र दाखिल किया।
‘हम राजनीति के दामाद हैं’
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वह "राजनीति के दामाद" हैं और आज उनकी शादी की सालगिरह है, इसलिए वह दूल्हा बनकर नामांकन कराने आए हैं।
जब अर्थी पर लेटकर पहुंचे किशन
साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान शाहजहांपुर का यह प्रत्याशी अर्थी पर लेटकर नामांकन करने पहुंच गया। किशन ने तब निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते खिरनीबाग चौराहे पर लगे बैरिकेडिंग के पास तैनात पुलिस ने प्रत्याशी को अर्थी से उतार दिया। जिसके बाद कफन से निकल कर ये प्रत्याशी अपने पैरों पर चल कर नामांकन कक्ष तक पहुंचा।
वैद्यराज का यह अंदाज केवल नामांकन भरने तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई विरोध प्रदर्शनों जैसे मौकों पर भी वे अपना कारनामा दिखाते रहे हैं।
500 के पुराने नोट लेकर जमानत राशि जमा करने पहुंचे वैद्यराज किशन
पिछले दिनों वैद्यराज किशन बैंक में जमानत राशि के जमा करने के लिए बंद हो चुके पांच सौ रूपये के पुराने नोट लेकर पहुंच गए। बैंक वालों ने रुपये लेने से मना कर दिया, तब वे सड़क पर खड़े होकर नोटबंदी के खिलाफ बोलते हुए उससे होने वाली लोगों की परेशानियां बताने लगे। पुराने नोट न बदलने के विषय में पूछने पर उन्होंने बताया कि वह बैंक गए थे, तब बैंक वालों ने उनसे कहा था कि चुनाव में आना, उस समय जमा करेंगे। हालांकि वैद्यराज का चुनावी स्टंट माना गया।
शिव बारात निकालने की नहीं मिली अनुमति तो किया ये ड्रामा
पिछले साल 6 अगस्त को किसी कारण से किशन को शिवबारात निकालने की अनुमति नहीं मिली तो वैद्यराज किशन एक बोतल में पेट्रोल, रस्सी और माइक लेकर घंटाघर में चढ़ गए। गले में फांसी का फंदा डाल, हाथ में पेट्रोल से भरी बोतल लेकर माइक पर अपनी बात कहने लगे। लोगों की भीड़ लग गई, इसे लेकर प्रशासन को खबर दी गई। तब कहीं जाकर उन्हें शिव बारात निकालने की अनुमति मिली।