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मुंबई में विशाखापत्तनम वर्ग के दूसरे युद्धपोत का जलावतरण

अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस और स्वदेश में निर्मित युद्धपोत का आज जलावतरण करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि रडार की नजर से बच निकलने में सक्षम इस विध्वंसक युद्धपोत की तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जंगी जहाजों से की जा सकती है। परियोजना 15बी के तहत विशाखापत्तनम वर्ग के जहाज मोरमुगाओ का निर्माण सरकारी मझगांव डाॅक शिपयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) ने किया है।
मुंबई में विशाखापत्तनम वर्ग के दूसरे युद्धपोत का जलावतरण

एडमिरल लांबा की पत्नी रीना ने यहां मुंबई में सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर एमडीएल के कार्यक्रम में सुसज्जित जहाज का जलावतरण किया और पहली बार इसे अरब सागर में उतारा गया। भारतीय नौसेना की जरूरत के मुताबिक इस जहाज का कुछ निश्चित परीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद इसे आईएनएस मोरमुगाओ के नाम से जाना जाएगा।

सार्वजनिक क्षेत्रा के उपक्रम (पीएसयू) ने एक बयान में कहा कि इस तरह के चार और विध्वंसक जहाजों का निर्माण किया जाएगा और 2020-2014 के दौरान एमडीएल इन्हें सौंप देगा। 20 अप्रैल, 2015 को विशाखापत्तनम वर्ग के पहले जहाज का जलावतरण किया गया था। अधिकतम 30 समुद्री मील से भी अधिक की गति वाले मोरमुगाओ जहाज का प्रस्थापन 7,300 टन है। यह युद्धपोत सतह से सतह मार करने वाली मिसाइल , सतह से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल और पनडुब्बी रोधी राॅकेट लाॅन्चर से लैस है। यह दो पनडुब्बी रोधी युद्धक हेलिकाॅप्टरों को भी रखने में सक्षम है।

जहाज के जलावतरण से पहले आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एडमिरल लांबा ने कहा, चूंकि यह जहाज पूरी तरह स्वदेशी है इसलिए यह देश के मेक इन इंडिया मुहिम को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा , यह जहाज समुद्र की बेहतर सुरक्षा करता है। इसके अनुबंध के लिये जनवरी 2011 में हस्ताक्षर हुए। इसकी तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जहाजों से की जा सकती है और इसे डीआरडीओ में हमारे डिजाइनरों तथा अन्य सरकारी एजेंसियों एवं निजी कंपनियों ने विकसित किया है। एडमिरल लांबा ने कहा कि एेसे और जहाजों के निर्माण तथा भावी पोतों के निर्माण की अवधि कम करने की जरूरत है। 1960 से भारतीय नौसेना और एमडीएल साथ साथ जहाज बना रहे हैं। एमडीएल देश में एकमात्र गोदी है जिसके पास पनडुब्बी बनाने की क्षमता है।

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