बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली को संबोधित किया। यहां समर्थकों के अलावा ऐसे लोग भी दिखे जो अलग और बेहद खास कारणों से रैली स्थल पर आए थे। ऐसे ही 80 साल के एक बुजुर्ग हमें मिले, जो आईआईटी बॉम्बे के छात्र रहे हैं। उनके गले में एक तख्ती लटकी हुई थी, जिसमें देश में हुए घोटालों के बारे में लिखा था। उन्होंने अपना नाम हरिशंकर शर्मा बताया। हमने उनसे बात कर यहां आने की वजह पूछी। उन्होंने बताया कि वह रैली में मोदी को देखने या उनका समर्थन करने नहीं आए हैं बल्कि प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, भ्रष्टाचार, सूखा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लोगों को जागरुक करने की कोशिश कर रहे हैं।
हरिशंकर शर्मा बताते हैं कि देश और दुनिया खतरे में है। भारत को प्रदूषित कचरों का हब बनाया जा रहा है। कार्बन उत्सर्जन देश की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। लेकिन इस पर सरकार मौन है। वे भारत में हुए भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त भी लोगों को दिखाते हैं।
शर्मा ने आउटलुक को बताया, “मैं यहां प्रधानमंत्री मोदी को सुनने नहीं आया हूं। बल्कि मैं खतरनाक तरीके से बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से लोगों को रूबरू कराने के लिए आया हूं। हमारा अस्तित्व खतरे में है।”
शर्मा बताते है कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक की पढ़ाई की है फिर आगे के अध्ययन के लिए वो यूरोप चले गए थे। शर्मा एफएओ (यूएनओ) में सलाहकार भी रहे हैं। लेकिन पिछले तीन सालों से जनता के बीच जाकर उन्हें पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर जागरूक कर रहे हैं।
हरिशंकर शर्मा ग्लोबल वार्मिंग, सूखा, कार्बन उत्सर्जन जैसे मुद्दों और समस्याओं पर बेबाकी से अपनी बात रखते हैं। उनका मानना है, “भारत अब कचरे का घर हो गया है। गाजियाबाद, चेन्नई, उत्तराखंड, सूरत में दुनिया भर का कचरा डंप किया जा रहा है। चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देश अमेरिका-जर्मनी को अपने यहां कचरा डंप करने की अनुमति नहीं देता लेकिन सिर्फ भारत ही है जो दुनिया भर का कचरा अपने यहां इकठ्ठा कर रहा है। हमारा घर अब कूड़ाघर बन गया है।”
‘हम दुनिया से उल्टे क्यों हैं?’
शर्मा देश और दुनिया की बढ़ती गर्मी और बारिश नहीं होने की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि राजस्थान में तेज गर्मी है। साउथ अफ्रीका में तीन सालों से बारिश नहीं हुई। लातूर, मराठवाड़ा में पानी नहीं होने के कारण खेती भी नहीं हो पा रही है। फिर भी हम दुनिया से उल्टे क्यों हैं ये समझ नहीं आता। उन्होंने बताया, “फिनलैंड में कोई सरकारी कर्मचारी हवाई जहाज से सफर नहीं कर सकता, यूरोप में उड्डयन क्षेत्र के लिए कार्बन क्रेडिट है, आप वहां एक भी अतिरिक्त फ्लाइट नहीं ले जा सकते। लेकिन भारत में और एयरपोर्ट बनाने की बात चल रही है। क्या हम पागल हैं।” वे आगे कहते हैं कि जो हवाई जहाज से सफर करता है वह दूसरों के मुकाबले 50 गुना ज्यादा ईंधन का इस्तेमाल करता है और ज्यादा प्रदूषण फैलाता है। हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ऐसे में हम कहां जाएंगे?
‘मोदी को लिख चुका हूं दस चिट्ठियां, दो बार गया जेल’
हरिशंकर कहते हैं कि वे अपनी इन चिंताओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अब तक कम से कम 10 बार चिट्ठियां लिख चुके हैं। लेकिन उनका इस पर कोई जवाब नहीं आया।
उन्होंने कहा, “मैंने कई केन्द्रीय मंत्रियों से भी मिलने की कोशिश की मगर वे भी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। जबकि मैं अस्सी बरस का आदमी अपने लिए नहीं बल्कि देश-दुनिया बचाने की बात कर रहा हूं।” शर्मा मुस्कराते हुए कहते हैं कि वे दो बार जेल जा चुके हैं। हाल ही में देश के पहले प्रधानमंत्री प.जवाहरलाल नेहरू की वर्षगांठ के दिन विज्ञान भवन के बाहर उन्हें पुलिस वालों ने हिरासत में ले लिया था। जबकि उनके ऊपर कोई मामला भी दायर नहीं हुआ। पूछने पर बताते हैं कि वे नेहरू की ‘जन्मपत्री’ लेकर वहां बैठे थे। भारत में घोटाले शुरू से होते आ रहे हैं। अब लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।