कमलनाथ की सरकार जाने के बाद उनकी मुसीबतें और बढ़ने वाली है। उनके कई करीबी सहयोगियों, आईपीएस और आइएएस अधिकारियों के खिफाज जल्द ही मामला दर्ज होने जा रहा है। लोक सभा चुनाव से पहले पड़े आयकर छापों में बड़ी राशि का अवैध लेन-देन उजागर हुआ था, उसमें इन सभी लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है।
आयकर छापों के मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने मप्र सरकार को निर्देश दिया है कि आयकर छापे में जिन मंत्रियों और अफसरों ने नाम आये है उन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे। सीबीडीटी की रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई करीबियों समेत कांग्रेस के कई तत्कालीन मंत्रियों, मप्र के आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम दिए गए हैं।
राज्य सरकार जिन लोगों के नाम उन रिपोर्ट में आये है उसमें से पहले एक पूर्व वरिष्ठ आईएएस अफसर, तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी पर केस दर्ज करने की तैयारी में है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, इसके घेरे में बाकी लोग भी आएंगे।
कमलनाथ सरकार के दौरान उनके सलाहकार रहे राजेंद्र मिगलानी, रिश्तेदार रतुल पुरी की कंपनी मोजर बियर के लोगों, ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोबारी ललित कुमार छजलानी, कांट्रेक्टर अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी व हिमांशु शर्मा के यहां छापा पड़ा था। इस दौरान बड़ी मात्रा में लेन-देन के दस्तावेज, 93 करोड़ के बेनामी लेने-देने और चार करोड़ रुपए नगद प्राप्त हुए थे।
कांग्रेस पार्टी के लिए एकत्र हुआ फंड
छापे में कांग्रेस मुख्यालय को भी 20 करोड़ रुपए भेजने के दस्तावेज मिले थे। दस्तावेजों में प्रदेश के कई तत्कालीन मंत्रियों, विधायकों और लोकसभा उम्मीदवारों के साथ लेन-देन का भी उल्लेख था। इस बात के भी दस्तावेज मिले कि अफसरों के जरिए परिवहन, महिला एवं बाल विकास, खनिज, पीडब्ल्यूडी, नगरीय विकास जैसे विभागों में लेन-देन हुआ। आयोग की रिपोर्ट मप्र के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के पास पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक आयोग ने सीबीडीटी के हवाले से कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में अघोषित पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ। तब राजनीतिक दल के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ी रकम एकत्र की।