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आखिर की सिर्फ 25 सीटों ने भी ममता की नींद उड़ाई

शुरू में ममता बनर्जी ने योजना बनाई थी कि चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद कम से कम हफ्ता भर के लिए दीघा जाएंगी। समुद्र के किनारे छुट्टियां बिताएंगी। मतगणना होने तक वहीं से शासन चलाएंगी। लेकिन आखिरी वक्त में योजना बदल दी। वे कूचबिहार के चालसा के रिसोर्ट चली गईं। वहां से गुरुवार को बंगाल में आखिरी चरण के मतदान के दौरान राजनीतिक रूप से दांव पर लगी सीटों पर व्यक्तिगत रूप से खोज-खबर लेती रहीं। खासकर, उनकी नजर कूचबिहार की नौ और पूर्व मेदिनीपुर की 16 सीटों पर रहीं। इन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर है।
आखिर की सिर्फ 25 सीटों ने भी ममता की नींद उड़ाई

सौ फीसद संवेदनशील घोषित इन जिलों की सीटों पर छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहने की खबर है। कड़ी धूप के बावजूद लोग अच्छी-खासी संख्या में मतदान करने पहुंचे। पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के हिसाब से इन दो जिलों में 25 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी। जबकि, 2011 के विधानसभा चुनाव के दौरान तब कांग्रेस- तृणमूल कांग्रेस गठबंधन ने 21 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस का गठबंधन वाममोर्चा के साथ है और लोकसभा चुनाव की तरह तृणमूल कांग्रेस अकेले जोर लगा रही है। कांग्रेस और वामो गठबंधन ने पूरे बंगाल में अधिकांश सीटों पर कड़ी चुनौती दी है। आखिरी चरण के चुनाव में आखिरी मौके तक ममता बनर्जी की नींद उड़ी रहने की यही वजह बताई जा रही है।

ममता बनर्जी ने इन दोनों जिलों में 25 सीटों पर अपनी जीत को आसान माना था। माना था कि कुछ भी हो, 20 सीटें उनकी पार्टी जीत ही लेगी। लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस-वामो गठबंधन की बयार तेज होने के साथ-साथ पिछले एक महीने में उनका गणित गड़बड़ाया है। चुनाव आयोग के दबाव में पुलिस और प्रशासन अपनी छवि दुरुस्त करने में जुटा। ऐसे में अकेली पड़ी तृणमूल कांग्रेस को हर-एक सीट पर संघर्ष करने की स्थिति है।

दरअसल, कूचबिहार हमेशा से वाममोर्चा का गढ़ रहा है। पांच साल पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन की फसल तृणमूल ने काटी थी। फिर वाममोर्चा के कई लोग टूटकर तृणमूल में शामिल हो गए। 2014 में नरेन्द्र मोदी की लहर के बावजूद यहां की नौ लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को महज तीस हजार वोट मिल सके थे। विपक्ष के वोटों में बिखराव से उन्हें लाभ हुआ था। इस बार विपक्ष के वोटों में बिखराव की हालत कम है। ऐसे में कूचबिहार के रिसोर्ट से अपने सहयोगी मुकुल राय के साथ वे बीते कुछ दिनों से वोटों के गणित पर निगाह रख रही हैं। हालांकि, सोमेन मित्र जैसे विपक्ष के नेताओं का आरोप है कि वहां से कूचबिहार और पूर्व मेदिनीपुर में बूथ कब्जे की योजनाओं में जुटी रहीं।

पूर्व मेदिनीपुर की जिम्मेदारी में सांसद शुभेन्दु अधिकारी को ममता बनर्जी ने लगा रखा है। वहां की चुनौती अलग तरह की है। पिछले चुनाव में नंदीग्राम कांड के बाद लोगों में माकपा के खिलाफ गुस्सा था। शुभेन्दु ने माकपा कैडरों को इलाके के निकाल बाहर करने का अभियान शुरू किया था। कांग्रेस-वामो गठबंधन के बाद अधिकांश ऐसे लोग अपने घरों को लौट सके हैं। वे तृणमूल कांग्रेस के लिए संभावित चुनौती माने जा रहे हैं।

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