विजय उर्फ प्रसाद उर्फ सान्याल जैसे नामों से माओवादी संगठनों में सक्रिय रहने वाले नारायण सान्याल ने पार्टी यूनिट में लंबे समय तक झारखंड, बिहार और बंगाल में संगठन विस्तार का काम किया।
गौरतलब है कि सान्याल सीपीआई माओवादी की सेंट्रल कमेटी के सदस्य रहे हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा कानून समेत देशद्रोह और अन्य मामलों में पुलिस ने 3 जनवरी 2006 को रायपुर से गिरफ्तार किया था। जिसके बाद रायपुर की निचली अदालत ने 24 दिसंबर 2010 को राजद्रोह के आरोप में नारायण सान्याल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन 2012 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की खंडपीठ ने सान्याल की उम्र और छह साल से अधिक समय से जेल में रहने को आधार बना कर जमानत दे दी थी। अदालत ने इन्हीं तथ्यों के आधार पर उनकी सजा भी निलंबित रखी थी।
उनके खिलाफ आंध्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में कई मामले दर्ज थे। वे लंबे समय तक छत्तीसगढ़ की अलग-अलग जेलों में बंद रहे। बाद में एक-एक कर सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल गई फिर 2014 में झारखंड की एक जेल से उन्हें रिहा कर दिया गया।