एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ आदर्श प्रताप सिंह द्वारा 16 मार्च को लिखी गई चिट्ठी, कोरोना वायरस से खड़े हो रहे एक और खतरे का इशारा कर रही है। यह खतरा उन हजारों मेडिकल स्टॉफ के ऊपर मंडरा रहा है। जो कोरोना से संक्रमित मरीजों का ईलाज दिन-रात एक कर, कर रहे हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया को लिखी गई यह चिट्ठी संक्रमण से बचाने के लिए पहने जाने वाले मास्क, दूसरे किट की भारी किल्लत की बात कहती है।
उसके अनुसार एम्स में ज्यादातर वार्ड में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है। ऐसे में जल्द से जल्द उसकी आपूर्ति की जाय। असल में कोरोना वायरस का जिस तरह का खतरा भारत पर मंडरा रहा है, उसे देखते हुए आने वाले समय में हेल्थ केयर स्टॉफ को लाखों की संख्या में प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट की जरूरत है।
हर रोज 15 लाख की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भारत सरकार ने इसके तहत 7.25 लाख पूरे शरीर पर पहने जाने वाला कपड़ा, 60 लाख एन-95 मॉस्क और एक करोड़ थ्री प्लाई-मास्क के ऑर्डर दिए हैं। इसके अलावा 19 मार्च को निर्यात पर भी प्रतिबंध कर दिया गया है। इसके पहले आठ फरवरी को सरकार ने निर्यात को मंजूरी दे दी थी।
वहीं प्रिवेंटिंग वियर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने अनुमान लगाया है कि अगर भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण की गंभीरता बढ़ती है, तो प्रतिदिन करीब 15 लाख प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट की जरूरत पड़ेगी। जिसके लिए फिलहाल भारत तैयार नहीं है।
सरकार ने कहा कर रहे हैं जरूरी उपाय
इस मामले में टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ने प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट की किल्लत की खबरों का खंडन किया है। उसके अनुसार पिछले 45 दिन से सरकार जहां से भी इक्वीपमेंट को मंगाया जा सकता है, वहां से लेने की कोशिश की जा रही है।
इस मामले पर सोशल मीडिया पर विनय सारावागी कहते हैं कि प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट की किल्लत होना, पूरी तरह से अपराध है। हमारे पास तैयारी के लिए दो महीने थे, लेकिन नौकरशाही ने उसे बर्बाद कर दिया।