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दुर्गा की दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटाई मर्केल ने

जर्मनी ने जम्मू-कश्मीर से दो दशक पहले लापता हुई दसवीं शताब्दी की दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ति भारत को आज लौटा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का आभार जताया। लापता होने के बाद यह मूर्ति जर्मनी के एक संग्रालय में पाई गई थी। भारत की यात्रा पर आईं जर्मन चांसलर मर्केल ने यहां हैदराबाद हाउस में मोदी को यह मूर्ति सौंपी।
दुर्गा की दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटाई मर्केल ने

दसवीं शताब्दी की दुर्गा की यह मूर्ति मर्हिषासुरमर्दिनी अवतार में है। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने मर्केल और जर्मनी के लोगों का इसे भारत को लौटाए जाने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, यह (दुर्गा) बुराई पर विजय का प्रतीक है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मर्हिषासुरमर्दिनी को 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के एक मंदिर से चुरा लिया गया था। इस संदर्भ में एक एफआईआर दर्ज की गई थी।

वर्ष 2012 में एएसआई को खबर मिली कि यह मूर्ति जर्मनी के स्टटगार्ट के लिंडेल संग्रहालय में देखी गई है। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की और पिछले साल इस सिलसिले में एएसआई के दो अधिकारियों ने स्टटगार्ट का दौरा भी किया। इस मूर्ति के भारत का होने के साक्ष्य के रूप में एफआईआर को पेश किया गया और सरकार ने जर्मनी के संबंधित प्राधिकार के समक्ष इस मामले को रखा।

ऐसा संदेह है कि इस मूर्ति की विदेश में तस्करी किए जाने में भारतीय कलाकृतियों के कुख्यात सौदागर सुभाष कपूर का हाथ है। कपूर को 2011 में जर्मनी में गिरफ्तार किया गया था।

जर्मनी ने आर्थिक वृद्धि के लिए मोदी के प्रयासों का समर्थन किया

जर्मनी ने भारत में विकास व आर्थिक वृद्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का आज समर्थन जताया। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत के बाद संवाददाताओं से कहा, हम सम्मान करते हैं कि आपके प्रधानमंत्री के पास देश के विकास तथा आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वाकांक्षी कार्यकम हैं तथा जर्मनी को इसमें भागीदारी व समर्थक बनने में पूरी रूचि है। मर्केल ने कहा कि जर्मनी अर्थव्यवस्था, कृषि, आंतरिक सुरक्षा, विकासात्मक मुद्दों, रक्षा मामलों व वित्तीय संबंध जैसे क्षेत्रों में सहयोग करेगा। मर्केल तीन दिन की भारत यात्रा पर आई हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी व भारत सीओपी 21 (पेरिस) जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में सहयोग करेंगे।

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