केंद्र की सरकार ने लालबत्ती की वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने का फैसला किया और इसके तहत प्रधानमंत्री समेत मंत्रियों और बड़े अधिकारियों के वाहनों से लालबत्ती एक मई से हटा ली जाएगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक ऐतिहासिक फैसले में एक मई से आपात सेवाओं से जुड़े वाहनों को छोड़कर सभी वाहनों से लाल-बत्ती हटाने का फैसला किया है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद गडकरी ने अपने वाहन से लालबत्ती हटा दी। ऐसा करने वाले वह पहले मंत्री हैं।
मंत्री ने कहा कि यह सरकार आम लोगों की सरकार है इसलिये उसने लालबत्ती और सायरन की वीआईपी संस्कृति समाप्त करने का फैसला किया है। सरकार ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के दृष्टिकोण से यह फैसला किया है।
गडकरी ने इस निर्णय के पीछे कारण बताते हुए कहा, सरकार की राय है कि वाहनों पर लालबत्ती वीआईपी संस्कृति का निशान है और इसका लोकतांत्रिक देशों में कोई स्थान नहीं है। इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय देश में स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
मंत्री ने कहा कि लाल बत्ती लगी गाड़ियों के सायरन से लोगों को गुस्सा आने लगा था। एम्बुलेंस, अग्निशमन सेवा आदि जैसे आपात और राहत सेवा से जुड़े वाहनों पर लालबत्ती की अनुमति होगी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय कानून में इसके लिये जरूरी प्रावधान करेगा।
नितिन गडकरी ने कहा कि कई राज्यों में विधायक धड़ल्ले से लालबत्ती का उपयोग करते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो ऐसी लालबत्ती लगाते हैं जिन्हें हटाया भी जा सकता है। मंत्रियों द्वारा सायरन का उपयोग अवैध नहीं है क्योंकि इसका उपयोग केवल पायलट पुलिस वाहनों द्वारा किया जा सकता है।
गडकरी ने उम्मीद जतायी कि इससे नरेंद्र मोदी सरकार में आम लोगों का भरोसा और सम्मान बढ़ेगा। यह पूछे जाने पर कि उल्लंघन के मामलों में क्या दंडात्मक कार्रवाई होगी, उन्होंने कहा कि प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने कहा कि इस संदर्भ में विस्तृत अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी और मोटर वाहन कानून में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है।