अजहर को प्रतिबंधित कराने के भारत के कदम पर चीन की ओर से लगाई गई रोक की पृष्ठभूमि में हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत के नजरिये से अवगत कराया।
कल होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान शी ने खुलासा किया कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी पर दोनों देशों के बीच दूसरे दौर की वार्ता जल्द ही होगी जिसमें नई दिल्ली को मतभेदों में कमी आने की उम्मीद है। शी ने कहा कि वार्ता मददगार होगी।
बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने पत्रकारों को बताया कि आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने शी से कहा कि भारत और चीन दोनों आतंकवाद से पीडि़त हैं और क्षेत्र इस समस्या से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश आतंकवाद से अछूता नहीं है और इस मुद्दे पर हम मतभेद नहीं रख सकते। उन्होंने कहा, यूएन 1267 समिति के संदर्भ में खास तौर पर भारत और चीन को अपना सहयोग बढ़ाना चाहिए और साझा जमीन तलाशने की कोशिश करनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए भारत के कदम पर चीन की ओर से तकनीकी रोक लगाने को लेकर भारत अपने इस पड़ोसी देश से नाराज रहा है। हाल में चीन ने इस रोक की अवधि कुछ और महीनों के लिए बढ़ा दी।
स्वरूप ने कहा कि दोनों पक्षों ने माना कि आतंकवाद एक अहम मुद्दा है। शी ने जोर देकर कहा कि दोनों पक्षों को सुरक्षा वार्ता एवं साझेदारी मजबूत करनी चाहिए। अफगानिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश में हुई आतंकवादी घटनाओं का हवाला देते हुए चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले ने मोदी के हवाले से कहा, भारत और चीन दोनों आतंकवाद के पीडि़त हैं, जो पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।
स्वरूप ने कहा कि भारत अजहर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित कराने के मुद्दे पर चीन से बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, हमें अपेक्षा है कि चीन को इसमें तर्क नजर आएगा। (एजेंसी)