राजस्थान के भीलवाड़ा में शुक्रवार से शुरू हुई संघ की चिंतन बैठक के पहले दिन संघ प्रमुख ने अपने यह विचार जताए। संघ का मानना है कि केंद्र सरकार का यह कदम भारत को ज्यादा नैतिक देश बनाने में मदद करेगा और इसलिए संघ के अधिकारी अधिक-अधिक जनता के बीच सरकार के इस कदम का प्रचार करेंगे।
संघ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भागवत ने संघ के शीर्ष नेताओं संग बैठक कर मोदी सरकार के इस कदम पर जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। संघ प्रमुख खुद इस अभियान की निगरानी करेंगे। जनता को हो रही परेशानी के समाधान तलाशने की जिम्मेदारी भी संघ के नेताओं को दी गई है। संघ के शीर्ष अधिकारियों में शामिल दत्तात्रेय होसबोले ने इस बारे में एक अंग्रेजी अखबार को बताया है कि उन्होंने इस मसले पर अब तक जितने भी लोगों से बात की है, फिर चाहे वो छोटा दुकानदार हो या कोई बड़ी बिजनेसमैन, सभी मानते हैं कि यह देशहित में उठाया गया कदम है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती 8 नवंबर की रात से देश में दोनों बड़े नोटों का प्रचलन बंद करने की घोषणा की थी। शुरू में इस कदम का समाज में जोरदार स्वागत हुआ मगर पुराने नोटों को बदलवाने में आ रही परेशानी के कारण धीरे-धीरे इसकी आलोचना होने लगी और अब तो विपक्ष की तकरीबन सभी पार्टियों ने इसपर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संसद लगातार इस मुद्दे पर बाधित हो रही है और बैंकों के सामने पैसा निकालने के लिए लंबी कतारें खत्म ही नहीं हो पा रही हैं। आरोप लग रहे हैं कि सरकार ने इस फैसले की घोषणा से पहले पूरी तैयारी नहीं की जिसके कारण ऐसा हुआ। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक का दावा है कि देश में नए नोटों की कमी नहीं है मगर अनाधिकारिक सूत्र बतातें हैं कि 500 रुपये के नए नोटों की छपाई अभी शुरू ही हुई और 2000 रुपये के नए नोटों की संख्या भी सीमित है। ऐसे में बाजार में पर्याप्त नगदी आने में लंबा समय लगेगा जिसके कारण बैंकों के आगे की कतारें अभी छोटी होने की उम्मीद नहीं है। उसपर शनिवार और रविवार को बैंकों की सरकारी छुट्टी होने के कारण सोमवार को हालात बेकाबू होने की आशंका से इनकार नहीं किया ज सकता।